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बाबरी कांड पर नरसिम्हा राव ने नहीं दिया था मेरी चिट्ठी का जवाबः गोगोई

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई ने अपनी नई किताब में बाबरी विध्वंस कांड पर नरसिम्हा राव सरकार के लिये फैसले को अनुचित बताया है। उन्होंने लिखा है कि इसके लिए उन्होंने चिट्ठी भी लिखी लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिला।

By anand rajEdited By: Published: Sat, 14 May 2016 01:48 PM (IST)Updated: Sat, 14 May 2016 03:33 PM (IST)
बाबरी कांड पर नरसिम्हा राव ने नहीं दिया था मेरी चिट्ठी का जवाबः गोगोई

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने अपने कार्यकाल के दौरान देश में कई सुधार किये, लेकिन कांग्रेस पार्टी पर अपनी पकड़ बनाने में वे कामयाब नहीं हो सके। गोगाई ने कहा कि उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना के बाद उन्हें चिट्ठी लिखी थी, लेकिन उन्हें उसका जवाब नहीं मिला।

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1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड के दौरान केंद्र सरकार में खाद् मंत्री रहे तरुण गोगोई ने अपनी किताब 'टर्नाराउंड- लीडिंग असम फ्रॉम द फ्रंट' में लिखा है कि नरसिम्हा राव एक आधुनिक व्यक्ति थे। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई सुधार के काम किये। लेकिन 1992 में हुुई बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड दौरान उनका फैसला उचित नहीं था। गोगोई ने अपनी किताब में लिखा है कि उस समय उन्होंने उनकेे (नरसिम्हा राव) फैसले की निंदा की थी और अपने हाथों से उन्हें एक चिट्ठी भी लिखी थी। लेकिन उस चिट्ठी का जवाब उन्हें नहीं मिला।

शनिवार को लॉन्च होने वाली अपनी किताब 'टर्नाराउंड- लीडिंग असम फ्रॉम द फ्रंट' में गोगोई ने लिखा है कि एक सुधारवादी नेता होने के बावजूद नरसिम्हा राव ने कभी भी अपने मंत्रियों के कामों में हस्तक्षेप नहीं किया। गोगोई ने लिखा है कि खाद्य मंत्री रहते हुए मैंने अपने सारे फैसले खुद लिये। बता दें कि तरूण गोगोई 2011 से असम के मुख्यमंत्री हैं।

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गोगोई ने अपनी किताब में तत्कालीन खाद्य मंत्री रहने के दौरान की सारी बातों का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि राव कभी भी कांग्रेस पार्टी पर अपनी पकड़ नहीं बना सके।' मुझे लगता हैै कि जिस तरह से उन्होंने बाबरी विध्वंस कांड पर फैसला लिया वो बिल्कुल अनुचित था। यहां तक कि मैंने उन्हें पत्र लिखकर भी कहा था कि आपको इसके लिए आदेश नहीं देना चाहिए थे। इस मामले में आपको पहले अपने अल्पसंख्यक नेताओं से बातचीत कर उन्हें विश्वास में लेना चाहिए था।' गोगोई ने लिखा कि आपका ये फैसला बहुत निर्णायक है और हमें अपने अल्पसंख्यकों से अलग कर सकता है। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने मेरे पत्र का जवाब नहीं दिया।

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कोका-कोला और पेप्सी को दी मंजूरी

अपनी किताब में गोगोई ने लिखा है कि राव सरकार में खाद्य मंत्री रहते हुए मैंने ही बहुराष्ट्रीय कंपनी कोका-कोला और पेप्सी को भारत आने की मंजूरी दी। उन्होंने बताया है कि हमारी सरकार ने अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश के लिए खोलने का फैसला किया था, जिसके बाद मैंने ही कोका-कोला और पेप्सी को भारत में आने का रास्ता साफ किया। मैंनें महसूस किया कि अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक समुदाय के साथ व्यापर के लिए बुलाने का यह ए क अच्छा अवसर है।

गोगोई ने लिखा है कि उस वक्त मेरे इस फैसले का विपक्ष ने इसका पूर जोर विरोध किया था, लेकिन मैं इस फैसे पर कायम रहा। 1993 में मुझे केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बना दिया गया। जिसके बाद हमारे देश को अंतरराष्ट्रीय निवेश की खूब प्राप्ति हुई।

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