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Talaq-E-Hasan: तलाक-ए-हसन को चुनौती देने वाली एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल, याचिकाकर्ता ने की यह मांग

Talaq-e-Hasan सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन को चुनौती देने वाली एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई है। याचिकाकर्ता ने तलाक-ए-हसन और एकतरफा अतिरिक्त-न्यायिक तलाक के अन्य सभी रूपों की प्रथा को शून्य और असंवैधानिक घोषित करने के लिए केंद्र को निर्देश जारी करने की मांग की है।

By Achyut KumarEdited By: Published: Wed, 03 Aug 2022 07:44 AM (IST)Updated: Wed, 03 Aug 2022 07:44 AM (IST)
Talaq-E-Hasan: सुप्रीम कोर्ट में तलाक-ए-हसन को चुनौती देने वाली एक और याचिका दाखिल (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एजेंसी 'तलाक-ए-हसन और एकतरफा अतिरिक्त न्यायिक तलाक के अन्य सभी रूपों' की प्रथा को असंवैधानिक घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की गई है। एक मुस्लिम महिला द्वारा दायर याचिका में केंद्र से 'सभी नागरिकों के लिए तलाक के लिंग तटस्थ धर्म तटस्थ समान आधार और तलाक की समान प्रक्रिया' के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की गई है।

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तलाक ए हसन को असंवैधानिक घोषित करने की मांग

अधिवक्ता आशुतोष दुबे द्वारा दायर याचिका में 'तलाक-ए-हसन और एकतरफा अतिरिक्त-न्यायिक तलाक के अन्य सभी रूपों' की प्रथा को मनमाना, तर्कहीन और अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करने के लिए शून्य और असंवैधानिक घोषित करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ता ने इसलिए दायर की याचिका

याचिकाकर्ता मुंबई की निवासी हैं। उन्होंने खुद को एकतरफा अतिरिक्त न्यायिक तलाक-ए-हसन का शिकार होने का दावा किया और कहा कि वह समाज की सामाजिक-आर्थिक रूप से दलित और हाशिए की महिलाओं के लिए यह जनहित याचिका दायर कर रही है, जो ज्यादातर अपने पतियों द्वारा तलाक के अवैध, मनमाने और अन्यायपूर्ण रूपों के माध्यम से अपमानित होती हैं, जो मुस्लिम पुरुषों द्वारा अपनी पत्नियों को किसी न किसी कारण से परेशान करने और प्रताड़ित करने के लिए व्यापक रूप से प्रचलित है।

मुस्लिम पर्सनल ला आवेदन अधिनियम 1937 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग

याचिका में मुस्लिम पर्सनल ला (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 की धारा 2 को अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 का उल्लंघन करने के लिए शून्य और असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है, जो 'तलाक-ए- हसन और एकतरफा अतिरिक्त न्यायिक तलाक के अन्य सभी रूपों' की प्रथा को मान्य करता है।

याचिका में मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 को अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करने के लिए शून्य और असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। क्योंकि यह मुस्लिम महिलाओं को 'तलाक-ए-हसन और एकतरफ अतिरिक्त न्यायिक तलाक के अन्य सभी रूपों' से सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहता है।

निकाह हलाला को असंवैधानिक घोषित करने की मांग

ताजा याचिका में भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 का उल्लंघन करने के लिए निकाह हलाला (तहलील विवाह) को शून्य और असंवैधानिक घोषित करने और केंद्र को सभी के लिए तलाक की समान प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

पहले भी दायर हो चुकी है याचिका

इससे पहले एक मुस्लिम महिला द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें यह घोषित करने की मांग की गई थी कि 'तलाक-ए-हसन और एकतरफा अतिरिक्त-न्यायिक तलाक के अन्य सभी रूप' असंवैधानिक हैं और केंद्र को धर्म तलाक का एक समान आधार और सभी के लिए तलाक की एक समान प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश तैयार करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। 

यह याचिका एक मुस्लिम महिला ने दायर की है, जिसने एक पत्रकार होने के साथ-साथ एकतरफा अतिरिक्त-न्यायिक तलाक-ए-हसन की शिकार होने का दावा किया है।


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