Supreme Court: जजों की नियुक्ति में केंद्र का दखल कितना जरूरी? कॉलेजियम से जु़ड़ी याचिकाओं पर SC कल करेगा सुनवाई
Supreme Court शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने सात नवंबर को याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उच्च न्यायपालिका में कलेजियम की अनुशंसा वाले न्यायाधीशों की नियुक्ति में केंद्र का रवैया परेशानी पैदा करने वाला है। पीठ ने कहा था कि स्थानांतरण मामलों का लंबित रहना बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि यह चुनिंदा तरीके से किया गया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए कलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से देरी के आरोप से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
केंद्र का हस्तक्षेप खलल पैदा करता है- सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत ने सात नवंबर को याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उच्च न्यायपालिका में कलेजियम की अनुशंसा वाले न्यायाधीशों की नियुक्ति में केंद्र का रवैया परेशानी पैदा करने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई कोर्ट से दूसरे हाई कोर्ट में स्थानांतरण के लिए अनुशंसित नामों के लंबित रहने पर भी चिंता जताई थी। पीठ ने कहा था कि स्थानांतरण मामलों का लंबित रहना बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि यह चुनिंदा तरीके से किया गया है।
14 शिकायतें सरकार के पास पेंडिंग- सुप्रीम कोर्ट
इस पर अटार्नी जनरल का कहना था कि यह मुद्दा उनके द्वारा सरकार के साथ उठाया जा रहा है। इस दौरान पीठ ने कहा था कि हमें उम्मीद है कि ऐसी स्थिति नहीं आएगी जहां इस अदालत या कलेजियम को कोई ऐसा निर्णय लेना पड़े जोकि सरकार को पसंद न आए।
शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि 14 सिफारिशें सरकार के पास लंबित हैं जिन पर उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसमें से पांच नाम तो काफी समय से लंबित हैं और इस मुद्दे पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। बता दें कि कलेजियम प्रणाली के माध्यम से न्यायाधीशों की नियुक्ति अक्सर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के बीच टकराव का एक प्रमुख मुद्दा बन गई है।
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