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सुप्रीम कोर्ट ने गोवा सरकार से कहा, विकास के खिलाफ नहीं पर जंगल नष्ट नहीं होने चाहिए

सुप्रीम कोर्ट उस याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें गोवा पर 4 फरवरी 2015 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने की अपील की गई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 11:37 PM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2019 11:38 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने गोवा सरकार से कहा, विकास के खिलाफ नहीं पर जंगल नष्ट नहीं होने चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने गोवा सरकार से कहा, विकास के खिलाफ नहीं पर जंगल नष्ट नहीं होने चाहिए

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने गोवा सरकार से कहा है कि वह सतत विकास के विरुद्ध नहीं है, लेकिन वन क्षेत्र को किसी भी कीमत पर नष्ट नहीं होने देना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन सिर्फ इसलिए गोवा को बर्बाद नहीं कर सकता क्योंकि उसके पास राष्ट्रीय औसत से अधिक वन क्षेत्र है। इस मामले पर अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।

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जस्टिस अरुण मिश्रा और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने शुक्रवार को सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह उन नेताओं के खिलाफ हैं जो अदालती आदेशों को अपने विवेकहीन मकसद के लिए इस्तेमाल करते हैं। खंडपीठ ने कहा कि सतत विकास के लिए हम आपके साथ हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप जंगल उजाड़ देंगे। हम आपको एक भी पेड़ काटने की इजाजत नहीं देंगे।

गोवा में 62 फीसद जंगल
इससे पहले, मेहता ने अदालत को बताया कि गोवा में करीब 62 फीसद जंगल है। यह राष्ट्रीय औसत से करीब 62 फीसद अधिक है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि तो क्या इससे आपको इसे नष्ट करने का अधिकार मिल गया। आप भाग्यशाली हैं कि इतना बड़ा वन क्षेत्र है। हमारा निवेदन यही है कि इसे नष्ट न करें।

मेहता ने अदालत को बताया कि वह वन क्षेत्र को कतई नष्ट नहीं करना चाहते हैं। वह गोवा में कोई भी पेड़ काटने की अनुमति नहीं मांग रहे हैं। उल्लेखनीय है कि खंडपीठ उस याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें गोवा पर 4 फरवरी, 2015 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने की अपील की गई है। सर्वोच्च अदालत के आदेश में कहा गया था कि गोवा प्रशासन किसी भी प्लॉट के बदलाव के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी नहीं करेगा जिस पर एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में 0.1 घनत्व की प्राकृतिक वनस्पति हो।

विकास कार्य न कर पाने का आरोप
सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले पर मेहता ने कहा कि इस आदेश के आधार पर गोवा में प्रशासन किसी भी क्षेत्र में विकास कार्य नहीं कर पाएगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि अगर आप किसी खास परियोजना के बारे में यहां आते तो हम उसके खिलाफ नहीं हैं। लेकिन हम उन राजनेताओं के खिलाफ हैं जो हमारे आदेशों को अपने विवेकहीन मकसद के लिए इस्तेमाल करते हैं।

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