Supreme Court: पेड़ों की कटाई रोकना राज्यों का दायित्व, सड़क परियोजना के लिए वैकल्पिक समाधान खोजे सीईसी
Supreme Court पीठ ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद-51ए के मुताबिक पेड़ों को बचाना हर नागरिक का दायित्व है। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 12 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी और उत्तर प्रदेश सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि डिवीजनल फारेस्ट ऑफिसर कुछ पेड़ों के ट्रांसलोकेशन की संभाव्यता पर रिपोर्ट दें।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में पेड़ों को कटने से बचाना राज्य सरकार का दायित्व है। साथ ही केंद्रीय अधिकार प्राप्त समित (सीईसी) को कहा कि वह ताज ट्रैपेजियम जोन (टीटीजेड) में सड़क परियोजना के लिए 3874 पेड़ों को काटने का वैकल्पिक समाधान खोजे। ताज ट्रैपेजियम जोन 10400 वर्ग किलोमीटर का है और यह उत्तर प्रदेश के आगरा, फीरोजाबाद, मथुरा, हाथरस व एटा जिलों और राजस्थान के भरतपुर जिले तक फैला हुआ है।
पेड़ों को बचाने की संभावना
शीर्ष अदालत ताजमहल एवं इसके आसपास के क्षेत्र के संरक्षण पर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह आगरा-जलेसर-एटा रोड के प्रस्तावित मार्ग का स्केच उपलब्ध कराए और सीईसी से कहा कि वह कुछ पेड़ों को बचाने की संभावना के बारे में सूचित करे।
पेड़ों को बचाना हर नागरिक का दायित्व
पीठ ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद-51ए के मुताबिक, पेड़ों को बचाना हर नागरिक का दायित्व है। शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई 12 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी और उत्तर प्रदेश सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि डिवीजनल फारेस्ट ऑफिसर कुछ पेड़ों के ट्रांसलोकेशन की संभाव्यता पर रिपोर्ट दें।
अवैध कटाई के विरुद्ध कार्रवाई की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक नए पेट्रोल पंप के प्रवेश एवं निकास के लिए टीटीजेड में 12 पेड़ों को काटने की अनुमति प्रदान कर दी थी और क्षेत्र में पेड़ों की कथित अवैध कटाई के विरुद्ध कार्रवाई की मांग संबंधी याचिकाकर्ता के दावे को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने 12 पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगने की याचिका को अनुमति प्रदान करते हुए कहा कि सीईसी की रिपोर्ट में कुछ शर्तों के साथ इन पेड़ों को काटने की अनुमति प्रदान कर दी गई थी।
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