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Supreme Court: 'आरोपित की गैर-हाजिरी जमानत रद करने का आधार नहीं हो सकता', सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी आपराधिक मामले में अदालत के समक्ष आरोपित की गैर-हाजिरी को जमानत रद करने का आधार नहीं बनाया जा सकता। जस्टिस बीआर गवई जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने छह सितंबर 2023 के कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। जमानत देने और याचिका खारिज करने के पैमाने अलग-अलग हैं।

By Jagran News Edited By: Jeet KumarPublished: Tue, 30 Jan 2024 05:00 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jan 2024 05:00 AM (IST)
आरोपित की गैर-हाजिरी जमानत रद करने का आधार नहीं हो सकता- सुप्रीम कोर्ट

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी आपराधिक मामले में अदालत के समक्ष आरोपित की गैर-हाजिरी को जमानत रद करने का आधार नहीं बनाया जा सकता। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने छह सितंबर, 2023 के कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

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जमानत देने और याचिका खारिज करने के पैमाने अलग-अलग

हाईकोर्ट ने कृष्णा शर्मा की जमानत इस आधार पर रद कर दी थी कि वह अदालत के निर्देश के बावजूद उसके समक्ष पेश नहीं हुआ। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, केवल इस आधार पर जमानत याचिका खारिज करना गलत है कि अपीलकर्ता व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं हुआ। जमानत देने और याचिका खारिज करने के पैमाने अलग-अलग हैं।

24 जनवरी को सुनाए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर यह पाया जाता है कि जिस व्यक्ति को जमानत का लाभ मिला है, उसने जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन किया है या गवाहों को प्रभावित किया है या साक्ष्यों से छेड़छाड़ करके जमानत का दुरुपयोग किया है, तो पहले से दी गई जमानत रद की जा सकती है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।

वकालतनामा वापस ले लिया गया

पीठ ने कृष्णा शर्मा के वकील की इस दलील पर गौर किया कि वह अपीलकर्ता हाई कोर्ट के समक्ष इसलिए पेश नहीं हो सका क्योंकि वीआइवी मूवमेंट के कारण ट्रैफिक जाम था। कृष्ण शर्मा के वकील हाई कोर्ट में इसलिए पेश नहीं हुए थे, क्योंकि उनका वकालतनामा वापस ले लिया गया था। इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि सुनवाई की तारीख पर न तो आरोपित और न उनके वकील अदालत में मौजूद रहे।


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