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Supreme Court: 'जीएसटी की वसूली के लिए केंद्र जबरदस्ती न करे', सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कारोबारियों को धमकाया नहीं जाए

सुप्रीम कोर्ट ने जीएसटी की वसूली के लिए कारोबारियों के खिलाफ तलाशी और जब्ती अभियानों के दौरान धमकी और जोर-जबरदस्ती का इस्तेमाल नहीं करने का केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए बुधवार को कहा कि उन्हें स्वेच्छा से बकाया चुकाने के लिए मनाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें स्वेच्छा से बकाया चुकाने के लिए मनाने का निर्देश दिया।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Published: Wed, 08 May 2024 11:54 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2024 11:54 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कारोबारियों को धमकाया नहीं जाए

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जीएसटी की वसूली के लिए कारोबारियों के खिलाफ तलाशी और जब्ती अभियानों के दौरान 'धमकी और जोर-जबरदस्ती' का इस्तेमाल नहीं करने का केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए बुधवार को कहा कि उन्हें स्वेच्छा से बकाया चुकाने के लिए मनाया जाए।

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जस्टिस संजीव खन्ना, एमएम सुंदरेश और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि जीएसटी कानून के तहत ऐसा कोई प्रविधान नहीं है, जो अधिकारियों को बकाया राशि के भुगतान के लिए बल के इस्तेमाल का अधिकार देता हो। शीर्ष अदालत की यह पीठ जीएसटी अधिनियम के विभिन्न प्रविधानों की जांच कर रही है।

भुगतान स्वेच्छा से किया जाना चाहिए

पीठ ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, तलाशी और जब्ती के दौरान किसी भी व्यक्ति को कर देनदारी का भुगतान करने के लिए बाध्य करने की इस अधिनियम के तहत कोई शक्ति नहीं है। अपने विभाग से कहें कि भुगतान स्वेच्छा से किया जाना चाहिए और किसी भी बल का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आपको कथित अपराधी को सोचने-समझने, सलाह लेने और देनदारी पूरी करने के लिए तीन-चार दिन का समय देना होगा। यह स्वैच्छिक होना चाहिए और किसी भी तरह की धमकी या जबरिया कार्रवाई का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

एसवी राजू ने जीएसटी वसूली के दौरान अतीत में बल प्रयोग होने की आशंका को खारिज नहीं करते हुए कहा कि तलाशी और जब्ती के दौरान ज्यादातर भुगतान स्वैच्छिक ही हुए हैं। उन्होंने जीएसटी अधिनियम पर दिनभर चली सुनवाई में कहा कि वसूली के दोनों तरीकों की संभावना है, लेकिन ज्यादातर भुगतान स्वेच्छा से या वकील से परामर्श कर कुछ दिनों के बाद किए जाते हैं। हां, अतीत में कुछ उदाहरण हो सकते हैं लेकिन यह मानक नहीं है।

इस पर पीठ ने कहा कि कई याचिकाकर्ताओं ने अधिकारियों पर तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान धमकी और जबरदस्ती करने के आरोप लगाए हैं। पीठ ने कहा, हम जानते हैं कि किसी व्यक्ति की तलाशी और जब्ती के दौरान क्या होता है। यदि कर भुगतान से इन्कार किया जाता है, तो आप संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क कर सकते हैं। लेकिन आपको परामर्श करने, सोचने और विचार करने के लिए कुछ समय देना होगा। आप उसे धमकी और गिरफ्तारी के दबाव में नहीं रख सकते हैं।


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