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नक्सलियों को जबरन वसूली की राशि देना आतंकी फंडिंग नहीं : सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रविंद्र भट की पीठ ने कहा अदालत के समक्ष प्रस्तुत सामग्री की पड़ताल से साफ दिखेगा कि अपीलकर्ता के खिलाफ मुख्य आरोप यह है कि उसने उग्रवादी संगठन को लेवी का भुगतान किया।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 11:11 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 11:11 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कारोबारी सुरेश केड़िया को प्रदान की जमानत

नई दिल्ली, आइएएनएस। झारखंड में अपने कोयला ट्रांसपोर्ट के कारोबार के सुचारू संचालन के लिए नक्सली संगठन तृतीय प्रस्तुति कमेटी (TPC) को धनराशि का भुगतान करने के आरोपित सुरेश केड़िया को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत प्रदान कर दी। अदालत ने कहा कि जबरन वसूली की धनराशि के भुगतान को आतंकी फंडिंग नहीं कहा जा सकता।

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जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रविंद्र भट की पीठ ने कहा, 'अदालत के समक्ष प्रस्तुत सामग्री की पड़ताल से साफ दिखेगा कि अपीलकर्ता के खिलाफ मुख्य आरोप यह है कि उसने उग्रवादी संगठन को लेवी का भुगतान किया।'

पीठ ने कहा कि प्रोटेक्शन मनी (सुरक्षा के धनराशि का भुगतान) भुगतान को प्रतिबंधित संगठन को बढ़ावा देने के लिए धन उगाही नहीं कहा जा सकता। केड़िया जीवीके पावर और गोदावरी कमोडिटीज की ओर से कोयला ट्रांसपोर्ट का कारोबार करते थे।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पूरक आरोप पत्र और रिकार्ड पर मौजूद अन्य सामग्री से साफ है कि अन्य आरोपित जो उग्रवादी संगठनों के सदस्य हैं, आम्रपाली और मगध इलाकों में कारोबारियों से बकायदा जबरन वसूली करते रहे हैं।


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