Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने बिलकिस बानो केस की सुनवाई से खुद को किया अलग

    By Jagran NewsEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Tue, 13 Dec 2022 02:34 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी ने बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। इस याचिका में 2002 के गोधरा दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म और हत्या करने वाले 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती दी गई थी।

    Hero Image
    सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने बिलकिस बानो केस की सुनवाई से खुद को किया अलग

    नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इस याचिका में बिलकिस बानो ने 2002 के गोधरा दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म और अपने परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती दी थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पीठ ने जस्टिस त्रिवेदी के अलग होने का नहीं बताया कारण

    जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने जैसे ही इस मामले को सुनवाई के लिए लिया, जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि उनकी बहन जज मामले की सुनवाई नहीं करना चाहेंगी। न्यायमूर्ति रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश दिया, 'मामले को उस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें, जिसमें हम में से कोई सदस्य नहीं है।' पीठ ने न्यायमूर्ति त्रिवेदी के सुनवाई से अलग होने का कोई कारण नहीं बताया।

    यह भी पढ़ें: Bilkis Bano Case: दोषियों की रिहाई के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए विचार करेगा SC

    सुप्रीम कोर्ट के 13 मई 2022 के आदेश की समीक्षा की मांग

    बानो, जिन्होंने एक अलग याचिका भी दायर की है, जिसमें एक दोषी की याचिका पर शीर्ष अदालत के 13 मई, 2022 के आदेश की समीक्षा की मांग की गई है, जिसमें उसने गुजरात सरकार से 9 जुलाई 1992 को अपनी नीति के संदर्भ में दोषियों की समय से पहले रिहाई की याचिका पर विचार करने के लिए कहा था, जिसमें दो महीने की अवधि के भीतर छूट याचिका पर निर्णय लेने के बारे में बताया गया था।

    'राज्य सरकार ने कानून को किया अनदेखा'

    15 अगस्त को दोषियों की रिहाई के लिए छूट देने के खिलाफ अपनी याचिका में, बानो ने कहा कि राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून की आवश्यकता को पूरी तरह से अनदेखा करते हुए एक यांत्रिक आदेश पारित किया है।

    21 साल की उम्र में बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म

    बानो 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी, जब गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के दंगों से भागते समय उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। मारे गए परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे को महाराष्ट्र की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।

    15 अगस्त को सभी लोगों को किया गया रिहा

    मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उनकी सजा को बाद में बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था। मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोग 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से बाहर चले गए, जब गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत उन्हें रिहा करने की अनुमति दी। वे जेल में 15 साल से ज्यादा का समय पूरा कर चुके थे।

    ये भी पढ़ें:

    RTI: जवाब देने के लिए मांगे 14 लाख रुपए, कहीं थमा दिए लीपेपोते दस्तावेज

    Fact Check : हार्ट अटैक को रोकने के लिए एस्पिरिन और पानी के उपयोग का भ्रामक दावा वायरल