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हाईकोर्ट के व्यक्तिगत पेशी के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, पूछा- ऑनलाइन पेशी का विकल्प क्यों नहीं दिया?

Marriage Dispute Case सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक कलह के एक मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि दोनों पक्ष के लोगों को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह उनकी समझ से परे है कि ऑनलाइन पेशी का विकल्प उन्हें क्यों नहीं दिया गया।

By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey Published: Thu, 23 May 2024 11:45 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2024 11:45 PM (IST)
प्रक्रिया को वर्चुअल मोड में पूरा किया जा सकता है- सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक कलह के एक मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि दोनों पक्ष के लोगों को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह उनकी समझ से परे है कि ऑनलाइन पेशी का विकल्प उन्हें क्यों नहीं दिया गया।

हाई कोर्ट के समक्ष प्रथम दृष्टया विवाद ऐसा नहीं था कि दोनों लोगों को व्यक्तिगत रूप से बुलाना जरूरी हो। खासकर तब जब उनमें से एक व्यक्ति गंभीर बीमारी के बावजूद मुंबई से यात्रा करके आता है।

प्रक्रिया को वर्चुअल मोड में पूरा किया जा सकता है- SC

जस्टिस दिपांकर दत्ता और सतीश चंद्र की अवकाशकालीन पीठ ने 20 मई के अपने फैसले में कहा कि अगर हाई कोर्ट को लगा कि दोनों पक्ष बातचीत के लिए फिट हैं और उन्हें आमने-सामने लाकर दोनों पक्षों के बीच समझौता कराया जा सकता है, तो इस प्रक्रिया को वर्चुअल मोड में भी पूरा किया जा सकता है।

ऑनलाइन प्रक्रिया का सहारा क्यों नहीं लिया गया

विज्ञान और तकनीक की उपलब्धियों के चलते सुनवाई के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया का सहारा क्यों नहीं लिया गया। उल्लेखनीय है कि खंडपीठ हाई कोर्ट के 14 मई के एक आदेश के खिलाफ सुनवाई कर रही है।

याचिकाकर्ता ने हाल ही में एक ट्रांसप्लांट कराया

अदालत ने इस बात का संज्ञान लिया कि याचिकाकर्ता नंबर-2 ने हाल ही में एक ट्रांसप्लांट कराया है। कुछ अन्य बीमारियों के लिए भी उन्हें ऑपरेशन कराने की जरूरत है। फिर भी उन्हें कोलकाता जाकर सुनवाई के लिए पेश होने को कहा गया। जबकि दूसरी याचिकाकर्ता आठ अप्रैल को पेश हुई थीं, उसके बावजूद उन्हें अगली सुनवाई के लिए आने को कहा गया।

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