पीएम मोदी विरोध के लिए नक्सलियों का सहयोग लेना आत्मघाती
जेटली ने नक्सलियों के इस सहयोग को शेर की सवारी करार दिया है, जिसमें शेर सबसे पहले अपने सवार को शिकार बनाता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के खिलाफ नक्सलियों का भी सहयोग लेने से गुरेज नहीं करने वाले राजनीतिक दलों को आड़े हाथों लिया है। जेटली ने नक्सलियों के इस सहयोग को शेर की सवारी करार दिया है, जिसमें शेर सबसे पहले अपने सवार को शिकार बनाता है। उन्होंने नक्सलियों के लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त करने के असली उद्देश्यों के प्रति भी इन राजनीतिक दलों को आगाह किया है।
वैसे वित्तमंत्री ने फेसबुक पर लिखे ब्लॉग में किसी भी राजनीतिक दल या विशेष घटना का जिक्र नहीं किया है। लेकिन उनका इशारा कोरेगांव की घटना की तरफ माना जा सकता है। पुणे पुलिस की जांच में इसके पीछे नक्सलियों का हाथ होने के सबूत मिले है। जबकि कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों ने कोरेगांव की घटना का इस्तेमाल एनडीए सरकार पर हमले के लिए किया था।
जेटली ने नक्सलियों के चार वर्गों में सक्रिय होने का विस्तृत विवरण देते हुए एनजीओ की आड़ में सक्रिय 'हाफ माओइस्ट' की बढ़ती गतिविधियों पर चिंता जताई है। उन्होंने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है कि मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के विरोध के लिए कुछ राजनीतिक दल इन 'हाफ नक्सलियों' की मदद ले रहे हैं। जेटली ने नक्सलियों की मदद लेने वाले राजनीतिक दलों को उनकी असली मंशा को लेकर भी आगाह किया है। उनके अनुसार नक्सलियों का लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं को प्रति कोई सम्मान नहीं है।
वे हिंसा के सहारे न सिर्फ सरकार बल्कि पूरी संवैधानिक प्रणाली को ध्वस्त करना चाहते हैं। नक्सली जिस व्यवस्था में भरोसा करते हैं, उसमें आम आदमी के मौलिक अधिकारों. संसद, कानून का शासन, संसद और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए कोई स्थान नहीं है। लेकिन नक्सलियों के समर्थक लोकतंत्र के इन्हीं मूल्यों का दोहन करते हुए अपना जनाधार बढ़ाने की साजिश कर रहे हैं और उनसे सावधान रहना जरूरी है।