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Startup India: आसान है स्टार्टअप की राह, सच करें अपने सपने; नौकरियों को कहें बाय-बाय

Startup India Ideas आज भी ज्यादातर भारतीय युवा उन नौकरियों में काम करने में अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं जो उनके परिवारों की स्थिरता के लिए नियमित आय सुनिश्चित करती है। नये विचारों से भरे उनके मस्तिष्क देश में बदलाव की क्रांति ला सकते हैं। उत्साह से भरे युवाओं में कुछ कर दिखाने की क्षमता और भूख दोनों साफ दिखाई देती है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaPublished: Sat, 07 Oct 2023 06:45 AM (IST)Updated: Sat, 07 Oct 2023 06:45 AM (IST)
Startup India Ideas: पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर करने में देश के स्टार्टअप की महत्वपूर्ण भूमिका है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उच्च शिक्षण संस्थानों और प्रबंधन संस्थानों द्वारा युवाओं को नवाचार और स्टार्ट अप के लिए अधिक से अधिक प्रेरित करने की जरूरत है, ताकि वे उद्यमिता के अपने सपने को सच करके देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे सकें। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के ताजा अनुमान के अनुसार भारत वर्ष 2027 तक 5.4 ट्रिलियन डालर के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। फिलहाल 3.8 ट्रिलियन डालर के साथ हमारा देश दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। हमारे प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुरूप देश को पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था वाला देश बनाने में हमारे स्टार्टअप और यूनिकार्न की भी महत्वपूर्ण भूमिका है, जिनकी संख्या लगातार बढ़ रही है । सफल स्टार्टअप से प्रेरित होकर देश के ज्यादातर युवा अब इसी दिशा में सोच रहे हैं। उच्च शिक्षा के संस्थानों में भी इंक्यूबेशन लैब के माध्यम से युवाओं को स्टार्टअप के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें समुचित संसाधन के साथ वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है।

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सीखें नए कौशल

हमारे युवाओं में उद्यमिता को एक मानसिकता के रूप में विकसित करने और उन्हें उद्यम बनाने के लिए अनुकूल अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए विकास का सबसे अच्छा तरीका है। उद्यमिता के जरिए युवाओं को देश के लिए बेहतर उत्पाद और सेवाओं के लिए संसाधनों को एक साथ लाने के अवसर मिलते हैं, जिससे हम मानव जीवन के अगले स्तर की ओर अग्रसर होते हैं । भारतीय युवाओं की उद्यमशीलता और नवीन सोच को उन्मुक्त करना ही शायद इस अवसर का लाभ उठाने का एकमात्र तरीका है । इसके लिए असफलताओं से सीखने और इसे सफलता की सीढ़ी के रूप में स्वीकार करने के साथ-साथ जिज्ञासु होने, अवसरों को तलाशने और खोजने के लिए उपलब्ध संसाधनों का दोहन करने का कौशल सीखने की आवश्यकता है। अवसरों को खोजने के लिए मूल्यांकन करने और जोखिम लेने के साथ विकास की मानसिकता को अपनाने की भी जरूरत होती है।

न भागें नौकरियों के पीछे

आज भी ज्यादातर भारतीय युवा उन नौकरियों में काम करने में अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं जो उनके परिवारों की स्थिरता के लिए नियमित आय सुनिश्चित करती है। पर यही सही वक्त है इस सोच को बदलने का। नये विचारों से भरे उनके मस्तिष्क देश में बदलाव की क्रांति ला सकते हैं। उत्साह से भरे युवाओं में कुछ कर दिखाने की क्षमता और भूख दोनों साफ दिखाई देती है। भारत में बिजनेस स्कूल भी उद्यमिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। छात्रों को स्टार्टअप के लिए वित्त पोषण के अवसरों और पूंजी तक पहुंचने, नवाचार को बढ़ावा देने और उद्यमशीलता की संस्कृति को विकसित करने के बारे में शिक्षित करके संस्थान उद्यमशीलता के विचार को आकार देने में और अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

लौटेगी पुरानी पहचान

भारत द्वारा सदियों से संचित पूंजी और अन्य संसाधनों ने पश्चिम की आर्थिक समृद्धि को बढ़ाया। ब्रिटिश शासन के अधीन होने के कारण पहली और दूसरी औद्योगिक क्रांतियों में भारत का योगदान केवल संसाधन प्रदान करने का रहा । ऐसे में अब आवश्यकता है कि भारत उद्यमिता की ओर तेजी से बढ़ते हुए अपनी खोई पहचान को हासिल करे और फिर से सोने की चिड़िया बन अपनी प्रभुता का प्रदर्शन करे ।

उठाएं संसाधनों का लाभ

उद्यमिता की राह पर आगे बढ़ने की जिजीविषा रखने वाले देश के युवाओं को सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखने और किसी के पीछे-पीछे चलने के बजाय अपना नेता स्वयं बनने की मानसिकता रखनी चाहिए। युवाओं को हमेशा यह याद रखना चाहिए कि सबसे बड़ी जनसंख्या और सबसे अधिक युवाओं की संख्या वाले देश के रूप में भारत में अपने आइडिया को उद्यमिता में बदलने की असीमित संभावनाएं हैं । हालांकि भारत के पास विशाल बाजार, श्रम ( क्षमताओं और कौशल वाले लोग ) और पूंजी (सामग्री खरीदने के लिए धन) के रूप में भरपूर संसाधन होने के बावजूद जोखिम लेने की भूख और उद्यमशीलता की मानसिकता को लगातार बढ़ाने की आवश्यकता है।

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