Space Junk: धरती पर लोगों के लिए खतरा बन रहा है अंतरिक्ष में जमा मलबा, अब उठ रही है नए नियमों को बनाने की आवाज
हर साल धरती पर अंतरिक्ष से कई टुकड़े गिरते हैं। इनमें से कुछ सागर और महासागर में तो कुछ जमीन पर गिरते हैं। हालांकि अब तक इस तरह से गिरने वाले टुकड़ों की वजह से किसी के जान जाने की कोई खबर नहीं है।
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। कुछ दिन पहले ही चीन के राकेट के हिंद महासागर में गिरने पर काफी हंगामा हुआ था। ये एक स्पेस जंक था, जिसका मतलब है अंतरिक्ष का कूड़ा। धरती पर इस तरह की घटना न तो पहली बार हुई है न ही इसको लेकर पहली बार इस तरह की चीजें देखने को मिली हैं। अंतरिक्ष से हर साल सैकड़ों छोटे-बड़े टुकड़े जो हमारे ही वहां पर भेजी गई चीजों का हिस्सा होते हैं धरती पर गिरते रहते हैं। आस्स्ट्रेलिया के कैनबरा से करीब 180 किमी दूर भी कुछ समय पहले एक स्पेस जंक गिरा था। इसके धरती पर गिरने से काफी तेज धमाका भी हुआ था। ये करीब 3 मीटर लंबा लोहे का एक बड़ा टुकड़ा था। ये जमीन में गड़ गया था।
एक वर्ष पहले एक राकेट का हिस्सा आइवरी कोस्ट में एक रिहायशी इलाके में गिर गया था। हालांकि अधिकतर स्पेस जंक कहां गिरेंगे इसका पता होता है, लेकिन ये कभी-कभी अनियंत्रित भी हो जाते हैं। इस वजह से इनकी गिरने की जगह का अनुमान लगा पाना काफी मुश्किल होता है। आपको बता दें कि धरती पर गिरने वाले स्पेस जंक अधिकतर समुद्र में ही गिरते हैं। अधिकतर ये दक्षिणी प्रशांत महासागर में गिरते हैं। यूरोपीय स्पेस एजेंसी के आंकड़े बताते हैं कि 1971 से 2018 के बीच ही स्पेस जंक के करीब 260 पार्ट्स प्वाइंट नीमो में गिरे थे। इस जगह को स्पेस जंक का कब्रिस्तान कहा जाता है।
आस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य में ही जुलाई मेंअंतरिक्ष से करीब तीन विशाल टुकड़े गिरे थे। ये टुकड़े स्पेस एक्स के ड्रैगन राकेट के बताए गए थे। इसको स्पेस एक्स ने नवंबर 2020 में अंतरिक्ष में भेजा गया था। 1979 आस्ट्रेलिया में स्पेस जंक का सबसे बड़ा हिस्सा जो नासा के स्काईलैब का था पश्चिमी आस्ट्रेलिय में गिरा था। स्पेस एक्स के ड्रैगन राकेट के जो टुकड़े धरती पर गिरे हैं उनकी जांच भी स्पेस एक्स ही करेगी। इन सभी घटनाओं के बाद स्पेस जंक के धरती पर गिरने को लेकर भी एक बहस शुरू हो गई है। जानकारों की राय में इसको लेकर नियम बनाए जाने की जरूरत है। आपको बता दें कि स्पेस में कुछ भी भेजने के बाद कंपनी या संस्थान को उसके संभावित कचरे को लेकर भी रिपार्ट तैयार करनी होती है।
स्पेस जंक को लेकर नए नियम बनाने की वकालत करने वाली फेडरल कम्यूनिकेशंस कमीशन (एफसीसी) का कहना है कि पुराने नियम अब काम के नहीं रहे हैं। इसलिए नए समय के साथ नए नियमों को बनाए जाने की जरूरत है। इस संस्थान का ये भी कहना है कि हम सभी को ये तय करना चाहिए कि सैटेलाइट अधिक ऊंचाई पर स्थापित होने लायक तैयार किए जाएं। इसके अलावा इस संस्थान ने धरती पर गिरने वाले स्पेस जंक के नए तरीके से खोज की भी बात कही है। इसका कहना है कि अंतरिक्ष में हजारों टन मलबा है। ये हमारे लिए खतरनाक होता जा रहा है।
नासा के मुताबिक अंतरिक्ष में साफ्टबाल के आकार के करीब 23 हजार से अधिक टुकड़े धरती का चक्कर लगा रहे हैं। वहीं 1 सेंटीमीटर से बड़े आकार के लगभग 5 लाख टुकड़े अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे हैं। इनसे छोटे आकार की तो बात करनी ही बेकार है। अंतरिक्ष में धरती का चक्कर लगा रहे आईएसएस के लिए भी ये खतरा बनते जा रहे हैं। ये स्पेस स्टेशन एक दिन में पृथ्वी के 15-16 चक्कर लगाता है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) का मानना है कि पृथ्वी की कक्षा में जो स्पेस जंक है उसका वजन करीब 9,600 टन से ज्यादा है। पृथ्वी की निचली कक्षा में स्पेस जंक करीब 25,265 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार चक्कर लगाता है। ये इस रफ्तार में ये किसी सैटेलाइट से टकरा जाए तो विनाशकारी साबित हो सकता है।
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