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स्कूली शिक्षा में फिसड्डी राज्यों में बदलाव के लिए नई मुहिम छिड़ेगी, ये है नीति

स्कूली शिक्षा में फिसड्डी राज्यों पर नजर दौड़ाएं तो यहां के स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की कमी है। ऐसे में जो शिक्षक है भी वह पढ़ाई को छोड़ दूसरे कामों में लगे है।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 08:44 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 08:44 PM (IST)
स्कूली शिक्षा में फिसड्डी राज्यों में बदलाव के लिए नई मुहिम छिड़ेगी, ये है नीति

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा के लिहाज से देश के फिसड्डी राज्यों में बदलाव को लेकर अब विशेष मुहिम चलेगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नीति आयोग के साथ मिलकर इस पर जल्द काम शुरू करने के संकेत दिए है। फिलहाल इसे लेकर सबसे ज्यादा जोर बच्चों में सीखने की क्षमता (लर्निंग आउटकम) को बढ़ाने को लेकर होगा। वैसे, भी नीति आयोग की हाल ही में जारी हुई रिपोर्ट में ज्यादातर राज्यों के पिछड़ने की बड़ी वजह लर्निंग आउटकम का खराब प्रदर्शन ही था।

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पढ़ाई से ज्‍यादा मिड-डे मील पर जोर

राज्यों के लर्निंग आउटकम में पिछड़ने की बड़ी वजह स्कूलों में पढ़ाई को लेकर ध्यान न देना है। वैसे भी कुछ राज्यों को छोड़ दें, तो मौजूदा समय में ज्यादातर राज्यों के स्कूलों की जो हालत है, उनमें मिड-डे मील से लकेर मुफ्त में ड्रेस, किताबें आदि को लेकर ही सबसे ज्यादा जोर है। पढ़ाई लिखाई की ओर से ध्यान नहीं है। ऐसे में शिक्षकों को पूरा समय ऐसी ही गतिविधियों में निकल जाता है।

स्कूली शिक्षा में फिसड्डी राज्यों में शिक्षकों की भारी कमी

वैसे भी स्कूली शिक्षा में फिसड्डी राज्यों पर नजर दौड़ाएं, तो यहां के स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की कमी है। ऐसे में जो शिक्षक है भी, वह पढ़ाई को छोड़ दूसरे कामों में लगे है। यही वजह है कि मंत्रालय का पूरा फोकस स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था को मजबूत बनाने और शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने को लेकर है। इसके तहत पहली कोशिश शिक्षकों की कमी को खत्म करने और मौजूदा शिक्षकों को नए सिरे से प्रशिक्षण देने को लेकर है। फिलहाल इनमें से शिक्षकों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है, जबकि राज्यों से स्कूलों से शिक्षकों की तैनाती को लेकर एक फॉर्मूला तैयार करने को कहा है, ताकि सभी स्कूलों को बच्चों की एनरोलमेंट के लिहाज से शिक्षक मिल सके। वैसे भी प्रत्येक 25 छात्र पर एक शिक्षक होने चाहिए।

इन राज्‍यों का प्रदर्शन बेहद खराब

मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बदलाव की इस कवायद में इसके साथ ही नीति आयोग के परफॉर्मेंस इंडेक्स में शामिल उन सभी 30 बिंदुओं को भी आधार बनाया गया है, जिसमें एनरोलमेंट, ड्राप आउट, इंफ्रास्ट्रक्चर, स्कूलों की सुरक्षा, पेयजल आदि विषयों को रखा गया है। गौरतलब है कि नीति आयोग के स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स (एसईक्यूआई) में उत्तर प्रदेश सहित जम्मू- कश्मीर, पंजाब, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश आदि राज्यों का प्रदर्शन बेहद खराब था।

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