लड़कियों को अकेले कमरे में बुलाकर दुष्कर्म करता था यह बाबा, SC पहुंची राज्य सरकार
शिक्षा की आड़ में नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म के मामले में सत्र अदालत से बरी किए गए गुलजार अहमद के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। धार्मिक शिक्षा की आड़ में दुष्कर्म की शिकार हुई जम्मू कश्मीर की चार नाबालिग लड़कियों में न्याय की उम्मीद जगी है। जम्मू कश्मीर सरकार ने आरोपी बाबा गुलजार अहमद भट को बरी किये जाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका विचारार्थ स्वीकार करते हुए मामले पर जल्दी सुनवाई के आदेश दिये हैं।
ये आदेश न्यायमूर्ति एसए बोबडे और एल नागेश्वर राव की पीठ ने दिये। सुनवाई के दौरान राज्य के वकील आर बसंत और शोएब आलम ने कहा कि हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी करते समय महत्वपूर्ण तथ्यों पर गौर नहीं किया है। एफआइआर में हुई पांच महीने की देरी को आधार बनाया है जबकि ऐसे मामलों में देरी ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होती। घटना के दिन ही पीडि़ता ने घर वालों को फोन पर सूचित किया था और घर वाले आए थे जहां उनका संस्था समर्थकों से झगड़ा भी हुआ था।
इसके बाद एफआइआर कराने में देरी इसलिए हुई क्योंकि परिवार वाले धार्मिक गुरुओं और संस्थाओं के चक्कर लगाते रहे। उन्होंने कहा कि पीडि़ताओं के बयान विश्वसनीय हैं उनमें अंतर नहीं है। दलीलें सुनकर कोर्ट ने याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली। याचिका में कहा गया है कि शर्म, गरिमा और सामाजिक कलंक के चलते पीडि़ताओं ने घटना के बारे में किसी को नहीं बताया। लेकिन परिवार को बताया था। दुष्कर्म के मामले में सहयोगी साक्ष्य होना जरूरी नहीं है पीडि़ता का बयान विश्वसनीय है तो उसके आधार पर सजा हो सकती है। इस केस मे मेडिकल रिपोर्ट है जिसमें दुष्कर्म से इन्कार नहीं किया गया है।
क्या है मामला
ये मामला दिसंबर 2012 का जम्मू कश्मीर के बड़गाम जिले का है। सत्र अदालत ने 12 फरवरी 2015 और जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने गत 23 फरवरी को दुष्कर्म के आरोपों से बरी कर दिया है। पीडि़त लड़कियों के मजिस्ट्रेट के समक्ष दिये गये बयानों के मुताबिक स्वयं को धर्म गुरु बताने वाला बाबा गुलजार अहमद भट अपनी संस्था में शिक्षा ले रही लड़कियों को रात में अकेले कमरे में बुलाता था और उनसे दुष्कर्म करता था।
अपराध के दौरान तेज आवाज में टेप रिकार्ड बजाता था ताकि लड़कियों की चीखें बाहर न सुनाई दें। दुष्कर्म से पहले पीडि़ताओं को कुछ पिलाया जाता था और सम्मोहित किया जाता था जिससे वे कुछ भी करने की स्थिति में नहीं रहती थीं। बाबा उनसे कहता था कि उनका(पीडि़ता) शरीर आग है और उसका (बाबा) नूर। उनके शरीर का जो अंग उसके शरीर से छुएगा वो नर्क की आग से सुरक्षित हो जाएगा। घटना के बाद पीडि़ता को डरा धमका कर चुप करा दिया जाता था।
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