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यौन शोषण के आरोपी जज पर सुप्रीम कोर्ट का कसा शिकंजा

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की एक महिला जज द्वारा हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ यौन शोषण के आरोप को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महत्‍वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने मामले में हाई कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश द्वारा गठित दो सदस्‍यीय कमेटी को अवैध करार देते हुए

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 11:00 AM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 11:29 AM (IST)
यौन शोषण के आरोपी जज पर सुप्रीम कोर्ट का कसा शिकंजा

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की एक महिला जज द्वारा हाईकोर्ट के एक जज के खिलाफ यौन शोषण के आरोप को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित दो सदस्यीय कमेटी को अवैध करार देते हुए आरोपी जज को प्रशासनिक व निरीक्षणात्मक कार्यों से हटाने का आदेश दिया।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में हाईकोर्ट के सीजेआइ द्वारा जांच कमेटी बनाना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर और अवैध है। ये अधिकार केवल सुप्रीम कोर्ट के सीजेआइ के पास ही है। कोर्ट ने कहा कि जिस हाई कोर्ट जज पर आरोप है उन्हें प्रशासनिक व निरीक्षणात्मक कार्य से हटाया जाए और सुप्रीम कोर्ट के सीजीआइ किसी दूसरे हाईकोर्ट के जज की कमेटी बनाएं।

गौरतलब है कि उक्त महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठी लिखकर जज पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। यौन शोषण आरोप लगाने के बाद महिला जज ने पद से इस्तीफा दे दिया।

महिला जज ने अपनी शिकायत में लिखा है कि आरोपी जज ने अपने घर में आइटम डांस करने के लिए संदेश भिजवाया, तब महिला ने अपनी बेटी का जन्मदिन होने का बहाना बनाकर पीछा छुड़ाया था। अगले दिन जब कोर्ट में दोनों का सामना हुआ तो आरोपी जज ने टिप्पणी की कि डांस फ्लोर पर उन्हें नाचते देखने का मौका चला गया, लेकिन वो इंतजार करेंगे।

महिला का आरोप है कि इस तरह कई बार उन्हें परेशान किया गया। आरोपी जज इस ताक में बैठा रहता कि महिला से कोर्ट की प्रक्रियाओं में कहीं कोई गलती हो और वो उसका फायदा उठाने की कोशिश करें। जब कोई मौका नहीं मिलता, तो वे झल्ला जाते थे।

महिला जज का आरोप है कि उसने जानबूझकर काम के घंटे भी बढ़ा दिए। तंग आकर 22 जून को महिला जज अपने पति के साथ आरोपी जज से मिलने पहुंची। ये भी जज को रास नहीं आया। उन्होंने बात करने के बजाय दोनों को 15 दिन बाद बात करने को कहा। 15 दिन बाद महिला जज को ट्रांसफर आदेश थमा दिए गए।

पीड़िता महिला जज का आरोप है कि मध्य प्रदेश की हाईकोर्ट की ट्रांसफर नीति का उल्लंघन करते हुए उन्हें सिधी भेज दिया गया। आखिरकार तंग आकर महिला ने 15 जुलाई को इस्तीफा दे दिया। शिकायत की खबर पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया आरएम लोढा ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि शिकायत मेरे पास आती है तो मैं इस मामले में उचित कदम उठाऊंगा।

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