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SC ने पूर्व रॉ आफिसर पर लगा जुर्माना नहीं किया माफ, Pok को लेकर की थी ये मांग

सुप्रीम कोर्ट ने रॉ के पूर्व अफसर आरके यादव पर लगाए जुर्माना माफ करने की याचिका खारिज कर दी है। जानें आखिर क्यों लगाया गया था उनपर जुर्माना।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 12:55 PM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 01:21 PM (IST)
SC ने पूर्व रॉ आफिसर पर लगा जुर्माना नहीं किया माफ, Pok को लेकर की थी ये मांग
SC ने पूर्व रॉ आफिसर पर लगा जुर्माना नहीं किया माफ, Pok को लेकर की थी ये मांग

नई दिल्ली,एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने रॉ के पूर्व अफसर आरके यादव की याचिका खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि उनपर लगा जुर्माना माफ किया जाए। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आर के यादव पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था। याचिकाकर्ता ने पाक अधिकृत कश्मीर (POK), गिलगिट और बाल्टिस्तान में दो लोकसभा क्षेत्र बनाने की मांग की थी।  

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती। इन इलाकों को भारत में शामिल करने का दावा न्यायिक दखल से नहीं हो सकता। कोर्ट का समय बर्बाद करने के लिए आरके यादव पर 1 जुलाई को जुर्माना लगाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने रॉ के पूर्व अफसर आरके यादव पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। अब उन्होंने याचिका दायर कर जुर्माना माफ करने के लिए कहा था। दरअसल, उन्होंने गुलाम कश्मीर (PoK) गिलगिट और बाल्टिस्तान में दो संसदीय सीटें चिह्नित करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को तभी खारिज कर दिया था और कहा था कि ऐसी याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती है। साथ ही, 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया था। 

याचिका में कही गई थी ये बात
याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसी याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती। याचिका में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर संविधान में पहले से ही इस क्षेत्र में 24 विधानसभा सीटें चिह्नित हैं। इस आधार पर कम से कम दो संसदीय सीटें भी चिह्नित होनी चाहिए। याचिका में इस बारे में पूर्व में 2013 और 2014 में लोकसभा में लाए गए विधेयकों का भी जिक्र किया गया था।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा था कि उसने चुनाव आयोग से इस बारे में आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी। चुनाव आयोग ने पूछी गई जानकारी का पत्र राज्य चुनाव आयोग को भेज दिया था और राज्य चुनाव आयोग ने जानकारी देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यह जानकारी मांगने का हक सिर्फ जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासियों को है और याचिकाकर्ता जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं है, इसलिए उसे आरटीआई में यह जानकारी नहीं दी जा सकती।

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