मिलता-जुलता नाम होने की सजा, 10 साल से कोर्ट के चक्कर काट रही ये महिला
जिस प्रकरण में वह शामिल ही नहीं थी, उसमें 10 साल से कोर्ट में पेश हो रही थी।
हरदा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। गांव में एक ही नाम की दो महिला होने की सजा एक आदिवासी महिला 10 साल से भुगत रही थी। जिस प्रकरण में वह शामिल ही नहीं थी, उसमें 10 साल से कोर्ट में पेश हो रही थी। गुरुवार को विशेष न्यायाधीश विजय अग्रवाल ने ग्राम उचाबरारी की 45 वर्षीय सुदिया बाई पति बृजलाल को प्रकरण से अलग करने के आदेश जारी किए।
अधिवक्ता ने बताया उचाबरारी में सुदिया नाम की दो महिलाएं हैं। 11 जुलाई 2007 को रहटगांव थाने में सामाजिक कार्यकर्ता शमीम मोदी व अनुराग मोदी सहित 24 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई। जिसमें आदिवासियों पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने वनकर्मियों का अपहरण कर बंदी बनाकर रखा है। प्रकरण में शामिल 24 लोगों में से उचाबरारी निवासी सुदिया पति परसराम का नाम था। पुलिस ने सुदिया पति बृजलाल को भी मामले में होना बताया।
इसके बाद से लेकर अब तक महिला कोर्ट के चक्कर लगा रही थी । वन परिक्षेत्र टेमागांव के वनग्राम ढेगा के रेंजर ओपी पटेल ने यह मामला दर्ज कराया था। मामले की पैरवी रमेश चंद्र शर्मा, सुखराम बामने एवं बैतूल से आए गुफरान खान ने की। वहीं श्रमिक आदिवासी संगठन के बबलू नलगे एवं अनुराग मोदी ने कहा कि सुदिया बाई पति बृजलाल को 10 साल तक मामले में बनाए रखने के लिए हरदा पुलिस प्रशासन एवं शासन के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे।
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