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इस सरकारी स्कूल में शिक्षिकों ने रोबोट को दी अपनी जगह, मनोरंजन के साथ छात्रों को मिल रही Education

सरकारी स्कूलों को लेकर आपकी भी धारणा बदल जाएगी जब आप जानेंगे की छत्तीसगढ़ में एक सरकारी स्कूल में रोबोट बच्चों को पढ़ाता है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 04:32 PM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 04:33 PM (IST)
इस सरकारी स्कूल में शिक्षिकों ने रोबोट को दी अपनी जगह, मनोरंजन के साथ छात्रों को मिल रही Education
इस सरकारी स्कूल में शिक्षिकों ने रोबोट को दी अपनी जगह, मनोरंजन के साथ छात्रों को मिल रही Education

राजनांदगांव (छत्तीसगढ़), जागरण स्पेशल।  हमेशा से ही सरकारी स्कूलों को लेकर धारणा रही है कि वह पुराने तौर तरीकों से चलते हैं। यही वजह है कि कई मां-बाप अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन, ऐसे में हम आपको बताए की एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है, जहां रोबोट पढ़ाता है। वह बच्चों को कविता सुनाता है। खेल-खेल में, मनोरंजन के जरिए जटिल शिक्षा को सरल बना देता है, तो एकबारगी यकीन नहीं होगा। 

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 खुद के खर्चे पर शिक्षकों ने तैयार किया रोबोट
जी हां, राजनांदगांव ब्लॉक का गवर्नमेंट प्रायमरी इंग्लिश मीडियम स्कूल संसाधनों के मामले में निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है। पाठ्यक्रम को रोचक और सरल बनाने के लिए यहां के दो शिक्षकों ने खुद के खर्च पर एक रोबोट तैयार किया है। इससे बच्चे अब खेल-खेल में पढ़ाई करते हैं। रोबोट के चलते कक्षा से नदारद रहने वाले बच्चों ने भी गोल मारना बंद कर दिया है।

स्कूल की शिक्षको ने उठाया ये कदम
बच्चों में पढ़ाई के प्रति ललक पैदा करने के लिए यह नवाचार स्कूल के शिक्षक उर्वशी ठाकुर और अनीश कुरैशी ने किया है। वे कहते हैं कि यह बात हमेशा जेहन में रहती थी कि ऐसा क्या किया जाए कि बच्चों की पढ़ने में रुचि बढ़े। ऐसे में उन्हें रोबोट से पढ़ाने की बात सूझी। फिर क्या था। दोनों ने अपने खर्च पर सारी सामग्री खरीदी और रोबोट तैयार कर लिया। इसमें ब्लूटूथ और स्पीकर लगा दिया। चिप में एनसीईआरटी द्वारा संचालित कोर्स का पूरा ऑडियो डाउनलोड कर दिया। पोयम और प्रार्थना भी अपलोड कर दिया। 

अब रोजाना कक्षा की शुरुआत रोबोट के सुनाई कविता से ही होती है, जिस पर सभी बच्चे झूमते हैं। इस तरह पढ़ाई के प्रति उनका मन पहले ही बन जाता है। शिक्षक की बगल में दो फीट ऊंचा रोबोट भी टेबल पर शोभा बढ़ाते रहता है। इतना ही नहीं, वह सिलेबस के अनुरूप बच्चों को पढ़ाता है। बच्चे किसी प्रकार का सवाल करते हैं तो शिक्षक उनकी शंकाओं का समाधान कर देते हैं। शिक्षक कहते हैं कि हर बच्चा पढ़ना चाहता है, बशर्ते पढ़ाई बोरियत न होकर रोचक हो। हमने यही कोशिश की। इसका सुपरिणाम भी मिल रहा है। 

 

स्कूल में और भी बहुत कुछ    
शिक्षकों ने स्कूल में लाइब्रेरी भी शुरू की है। इसमें ज्यादातर तस्वीरों के जरिए शिक्षा देने वाली पुस्तकें रखी गई है। शिक्षकों का मानना है कि तस्वीरें जल्दी जेहन में बैठती हैं। इनके जरिए फलों, सब्जियों, जानवरों आदि के नाम याद रखना आसान होता है। साथ ही बड़े बच्चों के लिए स्पोकन इंग्लिश, जनरल नॉलेज की पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। वक्त के साथ बच्चों में लाइब्रेरी में प्रति रुचि बढ़ती जा रही है। 

वे इसका महत्व समझने लगे हैं। जब भी वक्त मिलता है, सीधे लाइब्रेरी पहुंच जाते हैं। खेलकूद से जुड़ी चीजें भी शिक्षकों ने अपने खर्च से खरीदा है। आउटडोर गेम बैंडमिटन, फुटबॉल, क्रिकेट के साथ ही इंडोर गेम के लिए सांप सीढ़ी, लूडो, कैरम आदि की व्यवस्था भी उन्होंने की है। 

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