राज्यसभा के सभापति ने मायावती का इस्तीफा स्वीकार किया
बसपा सुप्रीमो मायावती का राज्यसभा से इस्तीफा मंजूर हो गया है। वह इस सिलसिले में दोबारा उपराष्ट्रपति से मिली थीं।
नई दिल्ली(जेएनएन)। राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी की ओर से आज बसपा सुप्रीमो मायावती के इस्तीफे को मंजूर कर लिया गया। मायावती की ओर से भेजा गया यह दूसरा इस्तीफा है। इससे पहले मायावती की ओर से राज्यसभा अध्यक्ष को भेजा गया इस्तीफा उचित फार्मेट में नहीं था। ऐसे में मायावती से दूसरा इस्तीफा भेजने को कहा गया। इस बार मायावती ने इस्तीफे को हाथ से लिखकर भेजा और इस्तीफे में राज्यसभा अध्यक्ष को संबोधित किया। मायावती के पहले के इस्तीफे की नामंजूरी की वजह लगायी गयी शर्त को भी माना जा रहा है।
दरअसल मायावती की ओर राज्यसभा में बोलने नहीं दिए जाने को मुद्दा बनाकर इस्तीफा दिया गया। उन्होंने राज्यसभा की कार्रवाई के दौरान अपनी बात पर तवज्जो न मिलने पर नाराजगी जताते हुए संसद से वाकआउट किया था और इस्तीफे की पेशकश की थी। उन्होने कहा कि संसद में न तो उनकी बात को सुना जा रहा है और न ही उन्हें बोलने दिया जा रहा है। उनके मुताबिक अगर मैं अपने कमजोर वर्ग की बात सदन में नहीं रख सकी तो मुझे हाउस में रहने का अधिकार नहीं है। सत्तापक्ष की ओर से मायावती के इस्तीफे की पेशकश को हार की हताशा करार दिया गया।
बता दें कि मायावती का कार्यकाल वर्ष 2018 के अप्रैल माह में समाप्त हो रहा है। वहीं संख्या बल के लिहाज से उनकी दोबारा से सदन में एंट्री होगी, ऐसा संभव नहीं लग रहा है। राज्यसभा में एंट्री के लिए 34 विधायकों का समर्थन चाहिए होता है। लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा के केवल 19 विधायक ही जीत सके हैं। राज्यसभा में बसपा के मौजूदा सदस्यों की संख्या छह है। हालांकि अप्रैल 2018 में मायावती और मुनकाद अली के कार्यकाल समाप्ति के बाद मात्र चार विधायक रह जाएंगे।
बता दें कि सहारनपुर हिंसा पर सदन में न बोल पाने के कारण मायावती ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। मायावती ने विधिवत अपना तीन पेज का इस्तीफा शाम को राज्यसभा के सभापर दलितों के उत्पीड़न की बात सदन में रखना चाहती थी। सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में जो दलित उत्पीड़न हुआ है, मैं उसकी बात उठाना चाहती थी। लेकिन सत्ता पक्ष के सभी लोग एक साथ खड़े हो गए और मुझे बोलने का मौका नहीं दिया गया।
बसपा प्रमुख ने कहा कि मैं दलित समाज से आती हूं और जब मैं अपने समाज की बात नहीं रख सकती हूं तो मेरे यहां होने का क्या लाभ है।' लेकिन मायावती के दिये इस्तीफे की भाषा को लेकर संदेह है कि वह मंजूर होगा भी या नहीं। बहरहाल, मायावती सार्वजनिक तौर पर दलितों के मुद्दे पर अपना रोष जताने की मंशा में सफल हो गई है। कांग्रेस व वाम दल के सदस्यों ने मायावती के साथ ही सदन छोड़ दिया, जिसके बाद सदन कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मायावती ने उपसभापति का अपमान किया है, जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
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