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ये क्‍या... राजधानी एक्‍सप्रेस का कूड़ा रेलवे ट्रैक पर ही

रेलवे के ‘स्‍वच्‍छ भारत’ अपनाने के बाद भी राजधानी एक्‍सप्रेस के सफाईकर्मियों को रेलवे ट्रैक पर कचड़ा डालते हुए पकड़ा गया।

By Monika minalEdited By: Published: Tue, 21 Jun 2016 04:19 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jun 2016 04:46 PM (IST)
ये क्‍या... राजधानी एक्‍सप्रेस का कूड़ा रेलवे ट्रैक पर ही

नई दिल्ली। 2014 के अप्रैल में, भारतीय रेलवे ने स्टेशनों पर थूकने पर 500 रुपये का जुर्माना निर्धारित किया था और ट्रेन कोच में बायो टॉयलेट की शुरुआत की ताकि ट्रैक पर गंदगी न हो। इस आधार पर यह माना जा रहा था कि भारत के सबसे बड़ा पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइज सफाई के प्रति गंभीर था।

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लेकिन दो साल बाद ही, राजधानी समेत लंबी दूरी वाले ट्रेन आपको हैरत में डाल देंगे यदि किसी एक में भी कचरे के लिए बढ़िया मैनेजमेंट सिस्टम हो।

गौर करने वाली बात है कि लंबी दूरी वाले ट्रेनों के सारे कचड़े ट्रैक पर ही फेंके जाते हैं, जबकि ट्रैक भी रेलवे के ही अधिकृत है। यानि कंपनी का अपना स्टाफ ही देश को प्रदूषित कर रहा है।

हाल ही में मेल टुडे ने नई दिल्ली-तिरुअनंतपुरम राजधानी एक्सप्रेस से यात्रा के दौरान होने वाली घटनाओं पर गौर किया। लग्जरी ट्रेन के स्टेटस बनाए रखने के लिए सफाई कर्मचारी राजधानी में एक दिन में चार राउंड लगाते हैं ताकि यात्री आराम से यात्रा कर सकें।

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स्टाफ डिस्पोजेबल कंटेनर, कप और खाली पानी की बोतलें हरेक सीट से इकट्ठा करते हैं। इसके बाद वाशरूम के पास पड़े कूड़ेदान में डाल देते हैं और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के नियमानुसार अगले स्टेशन पर उतारना होता है।

लेकिन ये स्टाफ दो कंपार्टमेंट के बीच के फासलों के जरिए ट्रैक पर गिरा देते हैं। इस बाबत पूछने पर वे बताते हैं, ‘मैं और दूसरे सफाई स्टाफ तो हमेशा करते आ रहे हैं। अब तक तो किसी ने कुछ नहीं बोला।‘

एक यात्री ब्रिजेश सारंगन ने कहा, ‘स्वच्छ भारत मिशन के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु के ‘क्लीन माइ कोच’ और ‘क्लीन योर स्टेशन’ जैसे प्रोजेक्ट अच्छा है लेकिन इनका क्या जो स्टाफ गंदगी को ट्रैक पर ही उड़ेल देते हैं।‘

गौर करने वाली बात है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने हाल ही में रेलवे को निर्देश दिया था कि ‘Polluter Pays’ को लागू किया जाए जिसके तहत पांच हजार रुपये का जुर्माना देना है।

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रेलवे के अनुसार, प्रतिदिन बड़े रेलवे स्टेशनों पर 10-15 टन कचड़ा इकट्ठा हो जाता है। दिल्ली में तीन स्टेशनों- नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन प्रतिदिन 40-45 टन कचड़ा जमा करता है।

मौजूदा समय में सॉलिड वेस्ट को स्टेशनों से एकत्रित कर संबंधित निगम अधिकारियों को सौंप दिया जाता है।


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