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चालू यात्री डिब्बा होगा सुरक्षित व आरामदेह, रेलवे कर रहा ये खास उपाय

चालीस हजार पुराने यात्री डिब्बों में एलएचबी जैसे नए सीबीसी कपलर लगेंगे। आंतरिक साज-सज्जा में सुधार के साथ सुविधाओं में भी होगी बढ़ोतरी।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Sun, 11 Jun 2017 11:06 AM (IST)Updated: Sun, 11 Jun 2017 11:36 AM (IST)
चालू यात्री डिब्बा होगा सुरक्षित व आरामदेह, रेलवे कर रहा ये खास उपाय
चालू यात्री डिब्बा होगा सुरक्षित व आरामदेह, रेलवे कर रहा ये खास उपाय

नई दिल्ली, ब्‍यूरो। पुरानी यात्री बोगियों को एलएचबी बोगियों की भांति सुरक्षित बनाने के लिए रेलवे निजी क्षेत्र की मदद लेगा। पिछले रेल बजट में राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष के एलान के साथ ही रेलवे का जोर ट्रेन हादसों पर अंकुश के साथ जान-माल की क्षति को न्यूनतम करने पर है।

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आंकड़े बताते हैं कि विकसित देशों के मुकाबले भारत में ट्रेन हादसे तो कम हैं, मगर हादसों में मरने और घायल होने वालों की संख्या बहुत ज्यादा होती है। लिहाजा अन्य नवीकरण व रखरखाव पर ध्यान देने के अलावा बोगियों को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

इसके लिए एलएचबी बोगियों को आदर्श मानते हुए भारतीय रेल में इस्तेमाल हो रही 40 हजार के करीब पुरानी आइसीएफ बोगियों को एलएचबी बोगियों की भांति सुरक्षित बनाने के लिए इनमें एलएचबी टाइप के सेंट्रल बफर कपलर (सीबीसी) लगाने की योजना पर काम शुरू हो गया है। इसके तहत चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 2000 बोगियों में सीबीसी लगाए जाएंगे।

इसी तरह अगले साल 5000 बोगियों और उसके बाद 7000 बोगियों में यही काम होगा। इसी तरह क्रमिक बढ़ोतरी के साथ अगले पांच सालों में सभी चालीस हजार बोगियों के कपलर बदल दिए जाएंगे। इसी के साथ एक और काम भी होगा, जिसे निजी क्षेत्र के साथ विचार-विमर्श के बाद हाल ही में कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। इन चालीस हजार बोगियों की आंतरिक साज-सज्जा को भी लगे हाथ संवारा जाएगा।

रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी के अनुसार, 'आइडिया यह है कि जब कपलर के रीट्रोफिटमेंट के लिए एक बार बोगी वर्कशाप में आएगी ही तो फिर लगे हाथ उसमें अन्य जरूरी सुधार भी कर लिए जाएं। क्योंकि ये चालू बोगियां हैं जिन्हें उपयोग से हटाकर वर्कशाप में सुधारा जाएगा।'

इस योजना में पीपीपी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र को भागीदार बनाया जाएगा। इसके लिए किराया वृद्धि के रूप में धन के इंतजाम का उपाय भी सोच लिया गया है। अधिकारियों का मानना है कि जब कोच हर तरह से बेहतर होंगी और यात्रियों को सुरक्षित व आरामदेह यात्रा का अहसास होगा तो वे कुछ अतिरिक्त किराया देने को सहर्ष तैयार हो जाएंगे।

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