नई दिल्ली, अरविंद शर्मा। स्वदेशी तकनीक से बनाई गई वंदे भारत ट्रेन की सफलता के बाद रेलवे अब उसी तर्ज पर वंदे मेट्रो चलाने की तैयारी में है। प्रारंभ बड़े शहरों से किया जाएगा, जो आसपास के लगभग 50-60 किलोमीटर की दूरी को जोड़ेगा। बाद में मध्यम श्रेणी के शहरों के बीच आवागमन को सुगम बनाने की भी पहल होगी। इससे उन यात्रियों को आसानी होगी जो एक शहर या आसपास के गांव-कस्बों में रहकर दूसरे शहर में काम-व्यापार और नौकरी के लिए प्रतिदिन आते-जाते हैं।
वंदे मेट्रो 120 से 130 प्रति घंटे की गति से चलेगी
किराया बहुत कम रखा जाएगा, ताकि जन सामान्य भी यात्रा कर सकें। रेल मंत्रालय ने चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री को डिजाइन का निर्देश दिया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आश्वस्त किया है कि अगले वित्तीय वर्ष से वंदे मेट्रो ट्रेनें भी पटरियों पर दौड़ने लगेंगी। रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार वंदे मेट्रो 120 से 130 प्रति घंटे की गति से चलेगी। इसके माध्यम से कम दूरी वाली इंटर सिटी ट्रेनों को रिप्लेस किया जाएगा।
वंदे मेट्रो में भी होंगी आठ बोगियां
अगले सात से आठ वर्षों में मध्यम दूरी की सारी ट्रेनों को बदल देने की तैयारी है। वंदे भारत की तरह वंदे मेट्रो में भी आठ बोगियां होंगी। प्रदूषण मुक्त रखने के लिए इंजन को हाइड्रोजन ट्रेनों की तरह विकसित किया जाएगा। मेट्रो की तरह दरवाजे अपने-आप खुलेंगे और एलईडी स्क्रीन पर अगले स्टेशन की सूचना देने का भी प्रबंध होगा। रेलवे को पिछले बजट से लगभग एक लाख करोड़ की अतिरिक्त राशि यात्री सुविधाएं बढ़ाने के लिए दी गई है। इससे आधारभूत संरचना का विकास, यात्रियों की सुरक्षा, स्वदेशी और ग्रीन तकनीक को प्रोत्साहित किया जाना है, ताकि आम लोगों को सस्ती, सुरक्षित और समय यात्रा की सुविधा दी जा सके।
डिजाइन और विकसित किया गया है
2014 से पहले प्रतिदिन मात्र तीन से चार किमी पटरियां बिछाई जाती थीं, जो अब 12 किमी तक पहुंच गया है। अगले वर्ष का लक्ष्य 16 किमी का है। इसी तरह ट्रेन दुर्घटनाओं पर नियंत्रण के लिए भी प्रभावी पहल के रूप में सुरक्षा 'कवच' को स्वदेशी तकनीक से डिजाइन और विकसित किया गया है। इसका क्षेत्र विस्तार करना है। प्रारंभिक चरण में तीन हजार किमी में इस कवच को लगाने का काम तेजी से किया जा रहा है। अगले बजट में पांच हजार किमी पटरियों को इस कवच से सुरक्षित करने का लक्ष्य है।
35 हाइड्रोजन ट्रेन को इसी दिसंबर तक चलाने की तैयारी
ग्रीन ग्रोथ की पहल करते हुए रेलवे ने स्वदेशी तकनीक से बनाई जा रही 35 हाइड्रोजन ट्रेन को इसी दिसंबर तक चलाने की तैयारी कर रहा है। भारत गौरव योजना के तहत रामायण एक्सप्रेस, काशी-विश्वनाथ एक्सप्रेस, जगन्नाथ सर्किट, शिरडी साईं बाबा सर्किट जैसे लोकप्रिय सर्किट के बाद अब इसे कई अन्य सर्किट पर भी चलाया जाएगा। गुरु-कृपा सर्किट में देश भर के पवित्र गुरुद्वारों को शामिल किया जाएगा।
रेलवे में डेढ़ लाख नौकरी देने की तैयारी
रेलवे रोजगार का भी एक बड़ा साधन है। विगत आठ वर्षों के दौरान इसमें तीन लाख 74 हजार नौकरियां दी जा चुकी हैं। अब एक लाख 45 हजार नौकरी देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। रेलवे ने इन नौकरियों की प्रतियोगी परीक्षाओं को स्वच्छ और निष्पक्ष तरीके से कराने का प्रबंध किया है, ताकि पेपर लीक की शिकायत न आ पाए।
यूपीएससी से होगी रेल अधिकारियों की भर्ती
रेलवे अधिकारियों की भर्ती संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) के माध्यम से होगी। इसके लिए अलग से परीक्षा नहीं होगी। इसके पहले रेल मंत्रालय ने एक आदेश में कहा था कि भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस) भर्ती यूपीएससी द्वारा विशेष रूप से डिजाइन की गई परीक्षा के जरिए की जाएगी। किंतु अब यह फैसला बदल दिया गया है। अब यूपीएससी परीक्षा के माध्यम से ही रेलवे में शीर्ष पदों पर भर्तियां होंगी। व्यवस्था अगले वित्तीय वर्ष से प्रभावी हो जाएगी।
रेलवे ने यात्रियों से साढ़े पांच हजार करोड़ कमाया
रेलवे को माल ढुलाई के अतिरिक्त यात्री ट्रेनों से भी अच्छी कमाई हुई है। अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 तक रेल यात्रियों से कुल 54733 करोड़ की कमाई हुई। पिछले वर्ष इसी दौरान 31634 करोड़ की कमाई हुई थी। स्पष्ट है कि यात्रियों से कमाई में 73 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अहम यह कि अनारक्षित टिकटों से कमाई का ग्राफ काफी ऊपर है। रेल मंत्रालय के अनुसार आरक्षित टिकटों में 48 प्रतिशत और अनारक्षित में 361 प्रतिशत वृद्धि हुई है। अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 तक 6590 लाख यात्रियों ने ट्रेन से सफर किया। पिछले वर्ष इसी दौरान 6181 लाख यात्रियों ने यात्रा की थी। आरक्षित यात्रियों से 42945 करोड़ और अनारक्षित यात्रियों की 45180 करोड़ आय हुई है।
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