Move to Jagran APP

रेल मंत्री को चुनावी साल में आई 'आम यात्री' की याद

बीते पूरे साल वसूली करने के बाद चुनावी साल में रेलवे को मुसाफिरों की याद आई है। रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाप्रबंधकों (जीएम) और मुख्य प्रचालन प्रबंधकों (सीओएम) से कहा है कि देश का आम आदमी रेल से सफर करता है। लिहाजा किरायों में बढ़ोतरी के बाद यदि हम उसे न्यूनतम सहूलियत देने में भी नाक

By Edited By: Published: Mon, 06 Jan 2014 09:43 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2014 09:47 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बीते पूरे साल वसूली करने के बाद चुनावी साल में रेलवे को मुसाफिरों की याद आई है। रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाप्रबंधकों (जीएम) और मुख्य प्रचालन प्रबंधकों (सीओएम) से कहा है कि देश का आम आदमी रेल से सफर करता है। लिहाजा किरायों में बढ़ोतरी के बाद यदि हम उसे न्यूनतम सहूलियत देने में भी नाकाम रहे तो वह हमें कभी माफ नहीं करेगा।

loksabha election banner

वर्ष 2013 में पवन बंसल के रेल बजट के साथ ही रेल किरायों और शुल्कों में बढ़ोतरी का जो अभियान चला था, वह तकरीबन पूरे साल निर्बाध गति से जारी रहा। इस दौरान किराये-भाड़ों में सीधी वृद्धि तो हुई ही, परोक्ष बढ़ोतरी से भी गुरेज नहीं किया गया। खाना भी महंगा हो गया। लेकिन, नहीं सुधरी तो रेलवे की हालत। सेवाओं का स्तर पहले जैसा ही रहा, जबकि खाने की गुणवत्ता और खराब हो गई। न स्टेशनों में साफ-सफाई नजर आई और न ही रिजर्वेशन की हालत में कोई सुधार दिखाई दिया। उलटे भ्रष्टाचार और घोटालों ने रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड तक को चपेट में ले लिया। यहां तक कि सीबीआइ को रेलवे रिजर्वेशन में गड़बड़ी की जांच करनी पड़ रही है।

पढ़ें: अब लखनऊ से दिल्ली के बीच डायनेमिक फेयर ट्रेन

इस परिप्रेक्ष्य में रेल मंत्री खड़गे के आगे नया साल नई चुनौतियां लेकर आया है। चुनावी वर्ष में उन्हें न केवल संप्रग सरकार की छूटती ट्रेन को रोकना है, बल्कि उस पर कांग्रेस के भागते वोटरों को भी बिठाना है। यह तभी संभव है जब ट्रेन आकर्षक और सुविधा संपन्न होने के साथ-साथ सुरक्षित व साफ-सुधरी हो। स्टेशन का व्यवस्थित होना भी जरूरी है ताकि भीड़ के कारण कुचलने का खतरा न हो। इसके अलावा यदि ट्रेन में खाना-पानी भी बढि़या हो तो 'अन्य ट्रेनों' के यात्रियों को भी कांग्रेसी ट्रेन की ओर खींचा जा सकता है।

सूत्रों के अनुसार खड़गे ने सभी महाप्रबंधकों और मुख्य प्रचालन प्रबंधकों के साथ बैठक में परोक्ष संदेश दिया कि अब शुद्ध रूप से यात्री सुविधाओं पर ध्यान दिया जाए। यानी जितनी कमाई होनी थी हो चुकी, अब और बढ़ोतरी बिलकुल नहीं। अब एकमात्र लक्ष्य कांग्रेस की लड़खड़ाती ट्रेन को संभावित दुर्घटना से बचाने का होना चाहिए। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले सरकार आम बजट की जगह लेखानुदान ही पेश कर सकेगी। ऐसे में बहुत वादे करना संभव नहीं होगा। लिहाजा वृद्धियों से त्रस्त यात्रियों को तत्काल बेहतर सहूलियतें देकर ही संतुष्ट किया जा सकता है। इसमें भी जनरल और स्लीपर क्लास में चलने वाले आम आदमी का खास ख्याल रखना होगा। उन्होंने कहा, कोहरे के दौरान एक भी हादसा हमें कहीं का नहीं छोड़ेगा। कोहरे में ट्रेनें लेट होना स्वाभाविक है, लेकिन यात्रियों को यदि असुविधा हुई तो वे अपना गुस्सा कहीं न कहीं अवश्य उतारेंगे।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.