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'आप' की राजनीतिक सुनामी के छींटे दूर-दूर तक

दिल्ली में आई आम आदमी पार्टी की राजनीतिक सुनामी की लहरों के छींटे दूर-दूर तक पहुंचने लगे हैं। इस एक कामयाबी से ही अचानक देश भर से इसे समर्थन की बाढ़ आ गई है। पार्टी के साथ जुड़ने और इसके दफ्तर खोलने से लेकर पार्टी की टिकट के लिए भी अभी से तांता लगने लग गया है। इनमें बड़ी संख्या उनकी भी है, जो अ

By Edited By: Published: Tue, 10 Dec 2013 09:20 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2013 09:24 PM (IST)

नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। दिल्ली में आई आम आदमी पार्टी की राजनीतिक सुनामी की लहरों के छींटे दूर-दूर तक पहुंचने लगे हैं। इस एक कामयाबी से ही अचानक देश भर से इसे समर्थन की बाढ़ आ गई है। पार्टी के साथ जुड़ने और इसके दफ्तर खोलने से लेकर पार्टी की टिकट के लिए भी अभी से तांता लगने लग गया है। इनमें बड़ी संख्या उनकी भी है, जो अपनी मौजूदा पार्टी से असंतुष्ट हैं। हालांकि दिल्ली चुनाव से सबक लेते हुए पार्टी अब 'अनुभवी' नेताओं को गंभीर भूमिका देने से हिचकिचा रही है। पार्टी ने ऐसे सभी मामलों के बारे में फैसला करने की जिम्मेदारी पार्टी नेता योगेंद्र यादव को सौंपी है।

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दिल्ली से सटे कौशांबी के एक छोटे से मकान से चलने वाले पार्टी के मुख्यालय का नजारा अब कुछ अलग ही है। विभिन्न शहरों से बिल्कुल अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोगों का यहां आने का सिलसिला लगातार जारी है। अलीगढ़ से पहुंचे 36 साल के सतपाल शर्मा बताते हैं कि राजनीति में उनका अनुभव तो नहीं, लेकिन अब वे कोई भी भूमिका निभाने को तैयार हैं। इनका इरादा है कि दिन में पार्टी का और रात की शिफ्ट में दफ्तर का काम करेंगे। इसी तरह नोएडा की एक एचआर कंसल्टेंसी कंपनी में काम करने वाले 32 साल के आशुतोष बेलवाल मानते हैं कि ये सिर्फ इस 'राजनीतिक आंदोलन' में योगदान देने आए हैं और इस बारे में वे शायद ही तय कर पाएं कि उनके इलाके में पार्टी का चुनाव उम्मीदवार सही है या नहीं।

यहीं एक कोने में बैठे आप के कार्यकर्ता अमित मिश्रा के मोबाइल पर लगातार फोन आ रहे हैं। दूसरी ओर मौजूद व्यक्ति खुद को एक क्षेत्रीय पार्टी का छत्तीसगढ़ का प्रदेश अध्यक्ष बताते हुए अगले चुनाव के लिए पार्टी में संभावनाएं तलाश रहे हैं। पार्टी की हेल्पलाइन पर आने वाले फोन ऐसे छह कार्यकर्ताओं के मोबाइल पर डायवर्ट होते हैं। लेकिन अब बढ़ते काल देख कर हेल्पलाइन की क्षमता दुगनी की जा रही है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक इन दिनों देश भर से ऐसे लोगों की बाढ़ आ गई है जो अपनी मौजूदा पार्टी छोड़ कर इससे जुड़ना चाहते हैं। हालांकि दिल्ली की जनता ने ऐसे नेताओं को ज्यादा पसंद नहीं किया। ऐसे में पार्टी अब अपनी रणनीति पर दोबारा विचार कर रही है। ऐसे सभी मामलों पर फैसला योगेंद्र यादव को करना है।

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