ग्रामीण सड़कें बनी गांव की जीवन रेखा, 13 फीसद तक बढ़ा प्राथमिक रोजगार; स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी दिखा सुधार
ग्रामीण सड़कें गांव की जीवन रेखा बनीं हैं। एक आकलन के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में महिलाओं के प्रसव की दर 30 फीसद तक घट गई है। किसानों की कृषि उपज को मंडियों में बेचने की दर भी बढ़ी है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। देश के सुदूर गांवों तक ग्रामीण सड़कों के मार्फत विकास की रोशनी पहुंचने लगी है। खासतौर पर ग्रामीण गरीबों, बुनकरों, किसानों और खेतिहर मजदूरों की जिंदगी को रफ्तार मिली है। गांव के लोगों को रोजी रोजगार मिलने से गरीबी और बेरोजगारी घटाने में मदद मिली है।
संजीवनी से कम नहीं है PMGSY की सड़कें
इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में घर में ही प्रसव की अहस्य पीड़ा से गुजरने वाली गर्भवती महिलाओं के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) की सड़कें किसी 'संजीवनी' से कम नहीं हैं। उन्हें अब इस तरह की पीड़ा से निजात दिलाने में इन ग्रामीण सड़कों की अहम भूमिका है, जिससे ऐसी ग्रामीण महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचाने में मदद मिली है।
सड़कों से हुआ क्रांतिकारी परिवर्तन
पीएमजीएसवाई की इन सड़कों के प्रभाव को लेकर कई बार अध्ययन कराए जा चुके हैं, लेकिन हाल ही में नीति आयोग की एक अध्ययन रिपोर्ट में गांव के लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थितियों पर इन सड़कों के प्रभाव का आकलन किया गया है। इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के जीवन में वैसे तो बहुत सारे सकारात्मक बदलाव आए हैं, लेकिन इससे स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं में वृद्धि और बीमारों को समय पर अस्पताल पहुंचाने में मिली सफलता को लोग क्रांतिकारी परिवर्तन के रूप में देख रहे हैं।
स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र की सुविधाओं में अभूतपूर्व वृद्धि
नीति आयोग की अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि पीएमजीएसवाई की सड़कों से ग्रामीण क्षेत्रों में जीवनयापन के साधन बढ़े हैं तो स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र की सुविधाओं में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। किसानों के लिए मंडियों तक अपनी उपज ले जाकर बेचने की सुविधा इन सड़कों से मिली है। ग्रामीण गरीबी दूर करने में इन सड़कों की भूमिका अहम साबित हो रही है। लोगों को जीवनयापन के लिए पास के कस्बों और शहरों तक जाने की सुविधा मिली है। ग्रामीण सड़कों के आने से ग्रामीण आबादी के जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
13 फीसद तक बढ़ा प्राथमिक रोजगार
इसी तरह का एक आकलन प्रभाव (इंपैक्ट इवैलुएशन) विश्व बैंक ने भी कराया है, जिसके मुताबिक ग्रामीण सड़कों के होने से मंडियों तक उपज पहुंचाने में औसतन आठ फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि खेतिहर किसानों के लिए प्राथमिक रोजगार 13 फीसद तक बढ़ा है, लेकिन सबसे चौंकाने वाला प्रभाव जच्चा बच्चा को लेकर पड़ा है।
शत-प्रतिशत गांवों से जुड़ीं सड़कें
रिपोर्ट के मुताबिक, गांव के घरों में ही बच्चा जनने की असह्य पीड़ा से जूझने वाली महिलाओं की दरें 30 फीसद तक घटी हैं। अब ज्यादातर गर्भवती महिलाएं सीधे पास के अस्पतालों तक पहुंच जाती है। देश के लगभग शत-प्रतिशत गांवों को PMGSY की सड़कों से जोड़ने में सफलता मिल चुकी है।
पांच साल के अंदर 40 हजार से अधिक सड़कों का निर्माण
250 की आबादी वाले गांवों को अब पक्की सड़कों से जोड़ने का काम तीसरे चरण में चल रहा है। पिछले पांच साल के अंदर तकरीबन 40 हजार से अधिक सड़कों का निर्माण किया गया है, जिसकी कुल लंबाई 2.10 लाख किमी से ज्यादा है। इन्हीं सड़कों के रास्ते गांवों तक अन्य विकास के कार्य पहुंचे हैं, जिससे लोगों की जिंदगी में सकारात्मक सुधार आया है।
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