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जानें कैसे रोबोट की तानेबाजी से भी लोगों का दुखता है दिल, प्रदर्शन में भी आती है कमी

यह बात स्थापित है कि किसी का प्रदर्शन अन्य लोगों के कहने से प्रभावित होता है लेकिन वैज्ञानिकों ने बताया रोबोट की तानेबाजी से भी लोगों का दिल दुखता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 09:21 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 05:35 PM (IST)
जानें कैसे रोबोट की तानेबाजी से भी लोगों का दुखता है दिल, प्रदर्शन में भी आती है कमी
जानें कैसे रोबोट की तानेबाजी से भी लोगों का दुखता है दिल, प्रदर्शन में भी आती है कमी

नई दिल्ली, प्रेट्र। आपने अधिकतर ‘डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू-ई’ या अन्य स्पोर्ट्स में खिलाड़ियों को एक दूसरे पर तानेबाजी करते, डराने- धमकाने की कोशिश या हतोत्साहित करते देखा होगा। दरअसल यह अपने प्रतिद्वंद्वी को मानसिक रूप से कमजोर करने का एक तरीका होता है जिसे ‘ट्रैश टॉक’ कहते हैं। इस ट्रैश टॉक में खिलाड़ियों का दिल दुखता है और वे उत्तेजित होते हैं और कभी-कभी इसके चक्कर में वे अपना स्वभाविक खेल नहीं खेल पाते और हार जाते हैं।

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जब लोगों को ह्यूमनॉयड रोबोट के साथ गेम खेलने के लिए कहा गया

वैज्ञानिकों ने बताया है कि यह ट्रैश टॉक केवल किसी इंसान द्वारा किए जाने पर दिल नहीं दुखाती, जब कोई रोबोट ऐसी ही ट्रैश टॉक करता है तब भी दिल दुखता है। शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में बताया गया कि जब लोगों को ह्यूमनॉयड रोबोट के साथ गेम खेलने के लिए कहा गया तो उनका प्रदर्शन तब खराब रहा जब रोबोट ने उनको हतोत्साहित किया। वहीं, दूसरी ओर उत्साहित करने पर उनके प्रदर्शन में भी सुधार हुआ। गेम में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों ने बताया कि रोबोट की तानेबाजी ने उन्हें बेचैन और उत्तेजित कर दिया इसलिए वह अच्छा गेम नहीं खेल सके। एक प्रतिभागी का कहना था कि ‘उसे रोबोट की तानेबाजी बिल्कुल नहीं पसंद आई, लेकिन उसे इसी तरह डिजाइन किया गया था तो रोबोट को दोष नहीं दिया जा सकता।’

इंसान और रोबोट साथ मिलकर बेहतरीन काम कर सकते हैं

इस अध्ययन के लेखक एरोन एम रूथ ने इस प्रयोग को तब अंजाम दिया था जब वह अमेरिका की करनेगी मलों यूनिवर्सिटी (सीएमयू) में पोस्ट ग्रेजुएट कर रहे थे। पिछले माह इस अध्ययन को नई दिल्ली में रोबोट-ह्यूमन कम्युनिकेशन पर हळ्ई आइईईई इंटरनेशनल कांफ्रेंश में प्रस्तुत किया गया था। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह अध्ययन उन रोबोट-ह्यूमन इंटरैक्शन अध्ययनों से बिल्कुल भिन्न हैं, जिसमें यह बताया जाता है कि कैसे इंसान और रोबोट साथ मिलकर बेहतरीन काम कर सकते हैं। सीएमयू के इंस्टीट्यूट फॉर सॉफ्टवेयर रिसर्च के एक सहायक प्रोफेसर फी फैंग ने कहा कि यह पहला अध्ययन है, जिसमें इंसान और रोबोट एक साथ मिलकर काम नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह इस दुनिया के लिए बहुत बड़ा सकेंत है जहां पर भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस मशीनों और रोबोट की भरमार होने वाली है। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे होम असिस्टेंट सहयोग की भावना रखेंगे, लेकिन क्या होगा अगर एआई लैस ये असिस्टेंट अपनी पसंद को प्राथमिकता देने लगें। वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसरअफसानेह डोरैब ने कहा कि यह बात अच्छी तरह से स्थापित है कि एक व्यक्ति का प्रदर्शन अन्य लोगों के कहने से प्रभावित होता है, लेकिन इस अध्ययन से यह भी पता चलता है कि मशीन क्या कह रही है इसका भी प्रभाव मनुष्यों पर पड़ता है। 

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