संजय राउत की मुश्किलें बढ़ने के संकेत, प्रवर्तन निदेशालय ने शिवसेना सांसद की जमानत याचिका का किया विरोध
ईडी ने पात्रा चाल धनशोधन मामले (Patra Chawl Case) में शिवसेना सांसद संजय राउत की जमानत याचिका का विरोध किया है। मामले की सुनवाई कर रही मुंबई की विशेष अदालत ने ईडी को 16 सितंबर तक जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
मुंबई, एजेंसी। प्रवर्तन निदेशालय ने पात्रा चाल धनशोधन मामले (Patra Chawl Case) में संजय राउत की मुश्किलें बढ़ाने के संकेत दिए हैं। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई की विशेष अदालत में शुक्रवार को संजय राउत (Shiv Sena MP Sanjay Raut) की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने सुनवाई के दौरान शिवसेना सांसद संजय राउत की जमानत याचिका का विरोध किया। मालूम हो कि इस महीने की शुरुआत में शिवसेना नेता ने पात्रा चाल धनशोधन मामले (Patra Chawl Case) में विशेष अदालत में अपनी जमानत की गुहार लगाई थी।
शिवसेना सांसद की दलील
संजय राउत की ओर से जमानत याचिका में कहा गया है कि उनके खिलाफ यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से दाखिल किया गया है। संजय राउत (Rajya Sabha Member of Shiv Sena) ने अपनी याचिका में कहा कि सत्ता पक्ष के विरोध को कुचलने के लिए उन्हें निशाना बनाया गया। इस जमानत याचिका पर ईडी ने शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे के समक्ष अपना लिखित जवाब दाखिल किया।
ईडी ने किया जमानत याचिका का विरोध
हालांकि, जांच एजेंसी (Enforcement Directorate, ED) के जवाब का विस्तृत विवरण अभी उपलब्ध नहीं हो पाया है लेकिन सूत्रों ने बताया कि ईडी की ओर से दाखिल जवाब में संजय राउत की जमानत याचिका का विरोध किया गया है। ईडी का कहना है कि उसकी जांच पात्रा 'चॉल' के पुनर्विकास मामले में कथित वित्तीय गड़बड़डियों और संजय राउत की पत्नी और कथित सहयोगियों से संबंधित वित्तीय लेनदेन से संबंधित है।
यह है पूरा मामला
मालूम हो कि गोरेगांव स्थित सिद्धार्थ नगर (Siddharth Nagar) में 47 एकड़ भूमि में फैले लगभग 672 घर थे। इसे पात्रा चॉल के नाम से जाना जाता है। साल 2008 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHDA) ने इसके पुनर्विकास की दिशा में कदम बढ़ाया। गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (GACPL) को इसके पुनर्विकास परियोजना की जिम्मेदारी सौंपी गई। यह हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) की एक सहयोगी कंपनी थी। बाद में इस परियोजना में कथित गड़बड़ी की खबरें सामने आईं। आलम यह है कि साल 2008 बाद से अब 14 साल हो गए लेकिन पात्रा चॉल के लोगों को उनके फ्लैट नहीं मिले हैं।