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कोलगेट ने माना पतंजलि को नजरअंदाज नहीं कर सकते

यह गिरावट ज्यादा हो सकती थी, लेकिन मार्केट रिसर्च फर्म नीलसन ने अपनी रिपोर्ट में पतंजलि के स्टैंडअलोन स्टोर शामिल नहीं किए।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Tue, 25 Jul 2017 10:22 AM (IST)Updated: Tue, 25 Jul 2017 10:26 AM (IST)
कोलगेट ने माना पतंजलि को नजरअंदाज नहीं कर सकते

मुंबई, एजेंसी। स्थानीय बाजार में ग्राहकों को टारगेट करने के मामले में पतंजलि का राष्ट्रवादी नजरिया काम कर रहा है। कोलगेट पामोलिव के ग्लोबल सीईओ इयान कुक का तो कम से कम ऐसा ही मानना है। कुक यदि पतंजलि के तौर-तरीकों और उसके विस्तार पर गौर कर रहे हैं तो इसकी ठोस वजह भी है। क्रेडिट सुइस की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 10 साल में पहली बार टूथपेस्ट के भारतीय बाजार में कोलगेट की हिस्सेदारी 1.8 फीसदी कम हो गई और बिक्री में 4 फीसदी गिरावट आई।

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यह गिरावट ज्यादा हो सकती थी, लेकिन मार्केट रिसर्च फर्म नीलसन ने अपनी रिपोर्ट में पतंजलि के स्टैंडअलोन स्टोर शामिल नहीं किए। देश में फिलहाल पतंजलि के ऐसे 12 हजार स्टोर हैं। बाजार में बादशाहत साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक टूथपेस्ट बाजार में 55.6 फीसदी और टूथब्रश श्रेणी में 47.3 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ कोलगेट अब भी भारत में सबसे बड़ी ओरल केयर कंपनी है।

योग गुरु रामदेव के पतंजलि ब्रांड ने इस बाजर में में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के दबदबे को चुनौती तो दी है, लेकिन उसकी मौजूदगी केवल लगभग 2 लाख परंपरागत रिटेल स्टोर्स में है, जबकि कोलगेट की मौजूदगी 50 लाख से ज्यादा स्टोर में है। जवाबी रणनीति बनाई कोलगेट पामोलिव ने पिछले साल भारतीय बाजार पर केंद्रित पहला आयुर्वेदिक ब्रांड सिबाका वेदशक्ति लॉन्च किया था। साफ तौर पर इसे पतंजलि के दंत कांति टूथपेस्ट के जवाब में उतारा गया।

2016 के दौरान देश में इस नए ब्रांड की बाजार हिस्सेदारी 0.5 फीसदी रही। उत्तरी और पूर्वी इलाकों में इसकी बाजार हिस्सेदारी 1 फीसदी रही। कोलगेट-पामोलिव की ताकत 16 अरब डॉलर ( करीब 1 लाख करोड़ रुपए) की बहुराष्ट्रीय कंपनी कोलगेट पामोलिव के पास नेचुरल सेगमेंट में ग्लोबल अनुभव है। इसने एक दशक पहले अमेरिका में 'टॉम्स ऑफ मेन' को खरीदा था, वहीं कोलगेट मिसवाक की मौजूदगी टर्की, इंडोनेशिया और दूसरे देशों में है। पतंजलि की उपलब्धि एक दशक से भी कम समय में 10 हजार करोड़ रुपए की कंपनी बनकर पतंजलि आयुर्वेद ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आयुर्वेद सेक्टर पर फोकस बढ़ाने को मजबूर किया।

हिंदुस्तान यूनिलीवर ने हाल ही में इंदुलेखा को खरीदने के बाद आयुष रीलॉन्च किया है। वहीं लॉरियल ने गार्नियर अल्ट्रा ब्लेंड्स के तहत एक हेयर केयर रेंज पेश की, जिसमें प्राकृतिक सामग्री होने का दावा किया गया। इससे पहले डाबर ने डाबर रेड के तहत देश का पहला आयुर्वेदिक जेल टूथपेस्ट पेश करने का दावा किया था। चिंता की वजह - 10 साल में पहली बार भारतीय टूथपेस्ट बाजार में कोलगेट की हिस्सेदारी 1.8 फीसदी घटी, बिक्री में 4 फीसदी गिरावट आई।

बाजार हिस्सेदारी में असल गिरावट दोगुनी होगी क्योंकि रिपोर्ट में पतंजलि के अपने स्टोर्स से बिक्री की जानकारी शामिल नहीं है। .. तो क्या करेगी कंपनी कोलगेट पामोलिव के ग्लोबल सीईओ इयान कुक ने कहा, 'ऐसे मुकाबलों में आखिर में जीत उन्हीं कंपनियों की होती है, जो ग्राहकों को सबसे अच्छे तरीके से समझती हैं और उसी के मुताबिक प्रोडक्ट्स ऑफर करती हैं। हमें इसी पर काम करना है।'

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