भारत-पाक बातचीत पर बोले बासित, कूटनीति के दरवाजे कभी नहीं होते बंद
भारत-पाक के बीच रिश्ते क्या कभी सामान्य हो पाएंगे। ये लाख टके का सवाल हैं। हालांकि पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कहा कि कूटनीति के दरवाजे कभी बंद नहीं होते।
नई दिल्ली(एएनआई)। भारत और पाकिस्तान क्या कभी पश्चिम जर्मनी और पूर्वी जर्मनी के रास्ते पर चल सकेंगे। क्या इन देशों के बीच मतभेद कभी मिट सकेगा। भारत को लेकर पाकिस्तान में जो फियर फैक्टर है। उससे पाकिस्तान कभी उबर सकेगा। ये सवालों की सिर्फ फेहरिश्त नहीं है। बल्कि एक हकीकत है जिसका सामना दोनों देश कर रहे हैं। भारत-पाक बातचीत पर पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कहा कि कूटनीति के दरवाजे कभी बंद नहीं होते हैं। वो हमेशा खुले रहते हैं।
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पाक के दो रंग कब तक ?
उन्होंने कहा कि उम्मीद की किरण हमेशा मौजूद रहती है। लिहाजा भारत और पाकिस्तान में बातचीत की संभावना हमेशा बनी रहती है। उन्होंने कहा कि ये सच है कि दोनों देशों के विदेश सचिवों के बीच औपचारिक तौर पर बातचीत के लिए कोई तिथि मुकर्रर नहीं है। लेकिन उम्मीद है दोनों देश एक टेबल पर जरूर बैठेंगे।
इससे पहले नई दिल्ली में आयोजित हॉर्ट ऑफ एशिया समिट के दौरान दोनों देशों के बीच संक्षिप्त बातचीत हुई थी। पाक विदेश सचिव से बातचीत के दौरान भारतीय पक्ष ने साफ कर दिया था कि आतंकवाद और बातचीत दोनों एक साथ नहीं चल सकते हैं। भारत ने कहा था कि अब समय आ गया है पाकिस्तान बयानों और कागजी कार्रवाई से हटकर जमीन पर कार्रवाई करे।
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उफा से हुई शुरुआत को गुरुदासपुर-पठानकोट ने रोका
पिछले साल रूस के शहर उफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से मिल कर बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाने की जो तैयारी की थी, उस पर गुरदासपुर हमले ने पूरी तरह से पानी फेर दिया है। उफा बैठक के बाद के पाक की तरफ से आ रहे लगातार नकारात्मक बयानों को दरकिनार कर भारतीय विदेश मंत्रालय अभी तक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और महानिदेशक सैन्य अभियान (डीजीएमओ) के बीच बातचीत की जमीन तैयार करने में जुटा था।
भारत ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि द्विपक्षीय बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए सौहार्दपूर्ण माहौल बहुत जरूरी है। यही वजह थी कि भारत ने पहल कर उफा में बातचीत की शुरुआत की थी। पीएम स्तर की बातचीत के दो दिन बाद ही वहां के एनएसए का उल्टा बयान आया फिर भी भारत ने अपनी तरफ से सैन्य बलों के बीच महानिदेशक स्तर पर बातचीत की तिथि सितंबर, 2015 में तय कर दी। इसके पहले एनएसए स्तर की बातचीत का रास्ता भी निकालने की कोशिश हो रही थी।
लेकिन गुरदासपुर हमले के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि 'भारत पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ दोस्ताना रिश्ते चाहता है लेकिन भारतीय हितों को ताक पर रख कर ऐसा नहीं किया जाएगा।
बैंकॉक में दोनों देशों के एनएसए की बातचीत और इस्लामाबाद में हॉर्ट ऑफ एशिया सम्मेलन के दौरान भारत सरकार ने जमीन तैयार करने की कोशिश की । लेकिन पठानकोट पर आतंकी हमले के बाद बातचीत की दोबारा पटरी से उतर गयी।
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