'गोलों के बीच एक रात बिताकर दिखाएं मंत्री और नेता'
पाकिस्तानी गोलाबारी से सीमांत लोग बेचैन हो उठे हैं। ऐसे में मंत्रियों और नेताओं के खोखले आश्वासन ने उनका सब्र तोड़ डाला है। गुस्साए ग्रामीणों ने कहा कि बरसते गोलों के बीच सिर्फ एक रात मंत्री और नेता बिताकर दिखाएं। गोलाबारी पीड़ित सीमांत किसानों का कहना है कि मंत्रियों, विधायकों व नेताओं को सीमांत लोगों से इ
रामगढ़, संवाद सूत्र। पाकिस्तानी गोलाबारी से सीमांत लोग बेचैन हो उठे हैं। ऐसे में मंत्रियों और नेताओं के खोखले आश्वासन ने उनका सब्र तोड़ डाला है। गुस्साए ग्रामीणों ने कहा कि बरसते गोलों के बीच सिर्फ एक रात मंत्री और नेता बिताकर दिखाएं।
गोलाबारी पीड़ित सीमांत किसानों का कहना है कि मंत्रियों, विधायकों व नेताओं को सीमांत लोगों से इतनी ही हमदर्दी है तो आज तक उनकी मांगों व समस्याओं पर गौर क्यों नहीं किया। गोलाबारी पीड़ित सीमांत गांवों के लोगों ने कहा कि इस गोलाबारी के साए में मंत्री व नेता एक रात सीमांत गांवों में गुजार कर दिखाएं, तब पता चलेगा कि सीमांत लोगों की जिंदगी कैसे बीत रही है। पाक गोलाबारी की दहशत और बार-बार शरणार्थी होने का दर्द झेल रहे गांव नंगा के लोगों में केंद्र व राज्य सरकार के प्रति रोष व्याप्त है।
इस बात को लेकर गोलाबारी पीड़ित महिला संध्या देवी ने कहा कि पाकिस्तान सीमांत गांवों पर गोले बरसा कर लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है। लोगों के पास ऐसा कोई विकल्प नहीं है कि वह पाक गोलाबारी से अपने परिवार को महफूज रख सके। वीना देवी ने कहा कि पिछले कई वर्षो से पाकिस्तान द्वारा सरहद के साथ लगते गांवों को निशान बनाकर गोले बरसाए जा रहे हैं। लेकिन सरकार व उसके मंत्री आज तक सीमांत लोगों को पाक गोलाबारी से बचने के लिए सुरक्षित जगह मुहैया नहीं करवा सके। शांति देवी ने कहा कि नौजवान व पैसे वाले लोग तो अपने परिवार की सुरक्षा व रक्षा के लिए हर तरीका चुन लेते हैं। लेकिन बुजुर्ग व गरीब लोग अपने परिवार की सुरक्षा कैसे करे। सरोती देवी ने कहा कि नंगा गांव हर बार पाक गोलाबारी का निशाना बना है। लेकिन जब कभी कोई आपात स्थिति बनती है तो लोगों को अपने निजी साधनों से सुरक्षित जगहों की ओर कूच करना पड़ता है। सरकार व प्रशासन की ओर से सीमांत लोगों को कोई मदद नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि अभी पिछले पांच दिनों से सीमांत लोगों को पाक गोलाबारी का सामना करना पड़ रहा है। इन पांच दिनों में सीमांत लोगों को न तो भरपेट खाना मिल सका और न ही कहीं सुरक्षित ठिकाना। छोटे बच्चे व बुजुर्ग इस संकट के दौर में बुरी तरह से जूझ रहे हैं। अगर सरकार व प्रशासन को सीमांत लोगों की कोई फिक्र होती तो लोग इस तरह से खुद का असहाय महसूस ना करते। उन्होंने कहा कि गोले पड़ने पर मंत्री विधायक व सफेद कपड़ों वाले नेताओं को सीमांत लोगों की याद आती है। सीमांत लोगों की समस्याओं व परेशानियों का कोई हल ही नहीं है तो लोग झूठे आश्वासनों व दावों के बल पर कैसे जीवन बसर करें।
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