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किसानों के समर्थन में राष्ट्रपति से आज मिलेंगे विपक्षी नेता, हताश विपक्ष को किसान आंदोलन ने दी ऊर्जा

किसान आंदोलन में कांग्रेस को हरियाणा में सियासी फायदे की उम्मीद दिख रही है। खट्टर सरकार का समर्थन कर रहे जजपा के कई विधायक कृषि कानूनों के खिलाफ हैं और सूबे में सियासी उथल-पुथल की नौबत आ सकती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 08 Dec 2020 09:44 PM (IST)Updated: Wed, 09 Dec 2020 01:31 AM (IST)
कोरोना प्रोटोकॉल के तहत केवल पांच विपक्षी नेताओं को ही राष्ट्रपति ने मुलाकात के लिए बुलाया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसानों के आंदोलन का पुरजोर समर्थन कर रहे विपक्षी दल बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविद से मुलाकात कर विवादित तीनों कृषि कानूनों को रद करने की मांग करेंगे। विपक्षी नेता राष्ट्रपति से इसके लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की बात भी उठाएंगे। इस मुद्दे पर भारत बंद को कामयाब बता रहे विपक्ष को किसानों के आंदोलन ने अपनी राजनीति को धार देने के लिए नई ऊर्जा दे दी है। इसके मद्देनजर विपक्षी दलों की अगुआई कर रही कांग्रेस ने कृषि सुधारों की हिमायत करते हुए भी तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने को अनिवार्य करार दिया।

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कृषि कानूनों को रद करने के लिए संसद सत्र बुलाने की रखेंगे मांग

कांग्रेस के इस रुख से साफ है कि विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मुलाकात में संसद का सत्र बुलाकर कानूनों को रद करने की सबसे प्रमुख मांग रखेंगे। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत केवल पांच विपक्षी नेताओं को ही राष्ट्रपति से मुलाकात के लिए बुधवार शाम पांच बजे बुलाया गया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी नेता शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा नेता डी राजा और द्रमुक नेता इलानगोवान विपक्षी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के नुमाइंदे को भी विपक्षी दल में शामिल किए जाने की गुंजाइश बनाई जा रही है।

बिहार के चुनाव में मिली मात से बेदम हुए विपक्षी दलों को किसान आंदोलन ने दी ऊर्जा

इन सभी पार्टियों के साथ विपक्षी खेमे के करीब डेढ दर्जन दलों ने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है। बिहार के चुनाव में मिली मात से बेदम हुए विपक्षी दलों को जन आंदोलन के सहारे अपनी राजनीतिक साख की वापसी का मौका नजर आ रहा है। इसीलिए किसानों के आंदोलन को विपक्ष सड़क से संसद तक ले जाने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। शरद पवार ने मंगलवार को संकेत भी दिया कि राष्ट्रपति से मुलाकात से पहले विपक्षी नेता इस मुददे पर साझी रणनीति तय करने के लिए आपस में मंत्रणा भी करेंगे।

कृषि क्षेत्र में कुछ जरूरी सुधार के पक्ष में कांग्रेस, मगर तीनों कानून सुधार नहीं: हुड्डा

कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े किसानों के रुख का समर्थन करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि बेशक कांग्रेस मानती है कि कृषि क्षेत्र में कुछ सुधार की जरूरत है, लेकिन विवादित तीनों कानून कृषि सुधार नहीं हैं और इसीलिए इन्हें रद किया जाए। कृषि क्षेत्र में सुधार करना है तो संसद का विशेष सत्र बुला इन कानूनों को रद किया जाए। साथ ही कृषि सुधारों पर सभी हितधारकों से खुली चर्चा कर इस पर फैसला किया जाना चाहिए।

हुड्डा ने कहा- एमएसपी की गारंटी देने वाला चौथा कानून बनाना होगा

हुड्डा ने कहा कि सरकार इन तीनों कानूनों को रखना चाहती है तो फिर उसे एमएसपी की गारंटी देने वाला चौथा कानून बनाना होगा। ऐसा नहीं हुआ तो पूंजीपति किसानों से सस्ते दाम पर फसल खरीद कर होर्डिग करेंगे और फिर महंगे दाम पर बचेंगे। जबकि बीते छह-सात सालों में फसल की लागत काफी बढ़ी है और इसकी तुलना में एमएसपी में इजाफा नहीं हुआ है। तीनों कानूनों को कृषि सुधार का हिस्सा बताए जाने के सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए हुड्डा ने कहा कि ऐसा था तो फिर एमएसपी से कम मूल्य पर खरीद करने वालों को दंड देने के लिए कानून बनाने की विपक्ष की मांग उसने क्यों नहीं मानी। सरकार की ओर से एपीएमसी कानून में सुधार की बात कांग्रेस घोषणापत्र में किए जाने का मुद्दा उठाने को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार इस पर गुमराह कर रही है।

खट्टर सरकार का समर्थन कर रहे जजपा के कई विधायक कृषि कानूनों के खिलाफ

किसानों के इस आंदोलन में कांग्रेस को हरियाणा में सियासी फायदे की उम्मीद दिख रही है। खट्टर सरकार का समर्थन कर रहे जजपा के कई विधायक कृषि कानूनों के खिलाफ हैं और सूबे में सियासी उथल-पुथल की नौबत आ सकती है। मुख्यमंत्री खट्टर की भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मंगलवार को हुई मुलाकात को इस चिंता से जोड़ कर ही देखा जा रहा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी कांग्रेस मुख्यालय में अपनी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जजपा विधायकों के कृषि कानूनों के खिलाफ होने की बात उठाते हुए खट्टर सरकार के अल्पमत में आने का दावा किया। साथ ही सीएम खट्टर को विधानसभा का सत्र बुलाकर अपनी सरकार का बहुमत साबित करने की चुनौती भी दी।


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