Move to Jagran APP

Online Education: स्कूल भले न खुले लेकिन बच्चों की पढ़ाई बर्बाद नहीं होगी, संसद की स्थायी समिति ने दिया ये सुझाव

शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने शुक्रवार को सरकार को एक अहम सुझाव दिया है। जिसमें कहा गया कि जब तक स्कूल नहीं खुलते तब तक बच्चों को आनलाइन पढ़ाने के लिए सभी ग्राम पंचायतों में एक बड़ा टेलीविजन लगाया जाए।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 02 Jul 2021 08:38 PM (IST)Updated: Sat, 03 Jul 2021 07:12 AM (IST)
सभी छात्रों तक आनलाइन शिक्षा की पहुंच बनाने को समिति ने बुलाई थी अहम बैठक (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना काल में बच्चों को घर बैठे पढ़ाने के लिए शुरू हुई आनलाइन शिक्षा को सभी की पहुंच में लाने के लिए शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने शुक्रवार को सरकार को एक अहम सुझाव दिया है। जिसमें कहा गया कि जब तक कोरोना संक्रमण की स्थिति सामान्य नहीं होती और स्कूल नहीं खुलते तब तक बच्चों को आनलाइन पढ़ाने के लिए सभी ग्राम पंचायतों में एक बड़ा टेलीविजन लगाया जाए। जिसे खुली जगह या फिर किसी बड़े सभागार में लगाया जाए। जहां स्मार्ट फोन या टीवी से वंचित बच्चे निर्धारित समय पर आकर अपनी पढ़ाई कर सकें।

loksabha election banner

शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने दिया सुझाव

शिक्षा मंत्रालय की इस संसदीय समिति ने इस दौरान दिव्यांग बच्चों का भी ख्याल रखने का सुझाव दिया। खास बात यह है कि समिति ने आनलाइन शिक्षा को लेकर यह पहल तब की जब हाल ही में आई रिपोर्ट में यह सामने आया कि सिर्फ तीस फीसद बच्चों के पास ही स्मार्ट फोन या इंटरनेट जैसी सुविधाएं हैं। ऐसे में बाकी बच्चों की पढ़ाई नहीं हो रही है।

समिति ने इसके बाद ही मंत्रालय से आनलाइन पढ़ाई से जुड़ा पूरा ब्योरा तलब किया। जिसके बाद आनलाइन पढ़ाई में ढिलाई दिखाने वाले आधा दर्जन राज्यों को पहले चरण में तलब भी किया। आने वाले दिनों में कुछ और राज्यों को भी इस मामले में तलब किया जाएगा।

उप्र, बिहार समेत आधा दर्जन राज्य सेटेलाइट चैनेल की सुविधा के इस्तेमाल पर राजी

भाजपा के वरिष्ठ नेता और संसदीय समिति के अध्यक्ष डाक्टर विनय सहस्रबुद्धे की अगुवाई में हुई इस बैठक में समिति ने आनलाइन शिक्षा को सभी तक पहुंचाने के लिए सेटेलाइट चैनेल की सुविधा का इस्तेमाल करने का भी सुझाव दिया। साथ ही इसरो और प्रसार भारती से भी इस पर राय ली। खास बात यह है कि इसरो की मदद से शिक्षा के लिए सेटेलाइट चैनेल की सुविधा मुहैया कराई जाती है। आनलाइन शिक्षा को लेकर ढिलाई दिखाने के मामले में तलब किए उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश और तेलंगाना से जानकारी ली गई। उनसे पूछा गया कि वे सेटेलाइट चैनेल की सुविधा का इस्तेमाल क्यों नहीं कर रहे हैं। इस पर राज्यों ने भरोसा दिया, कि वे जल्द ही इसे शुरू करेंगे।

2022 में परीक्षा न होने पर नए पैटर्न से होगा मूल्यांकन

समिति ने इस दौरान शिक्षा मंत्रालय से 2022 की परीक्षा तैयारियों को लेकर भी सवाल पूछा। जिस पर मंत्रालय ने बताया कि स्थिति सामान्य रही तो परीक्षाएं होंगी। बावजूद इसके इस बार मूल्यांकन की एक नई प्रक्रिया पर काम हो रहा है, जिसे परीक्षा न होने की स्थिति में इस्तेमाल में लाया जाएगा। इसे पहले से ही तैयार रखा जाएगा, ताकि बाद में भ्रम की स्थिति पैदा न होने पाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.