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अब सेना नक्सल प्रभावित इलाकों में IED डिफ्यूज करने के लिए चलाएगी बड़ा अभियान

CRPF ने पुणे में अपने विशेष और एक तरह के काउंटर-IED संस्थान को भी शुरु किया है इसे भारतीय IED प्रबंधन संस्थान कहा जाता है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 07:17 PM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 07:02 AM (IST)
अब सेना नक्सल प्रभावित इलाकों में IED डिफ्यूज करने के लिए चलाएगी बड़ा अभियान

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। सेना अब नक्सल प्रभावित इलाकों में अपने सैनिकों के हो रहे नुकसान को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए ऐसे नक्सल प्रभावित इलाकों में बिछाई गई IED (improvised explosive device)को डिफ्यूज करने के लिए बड़े पैमाने पर एक अभियान चलाने की तैयारी की जा रही है। क्योंकि पिछले तीन साल में इन धमाकों में सेना ने अपने 260 से ज्यादा सैनिक खो दिए हैं या फिर वो गंभीर रुप से घायल हुए हैं। IED सर्च अभियान में CRPF, अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) और राज्य पुलिस बलों को शामिल किया गया है। इसी के साथ इन सभी को IED की गंभीरता के बारे में भी बताया जा रहा है।

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डिफ्यूज किए जाएंगे IED 

नक्सल प्रभावित इलाकों में आईईडी को डिफ्यूज करने के दौरान हो रहे धमाकों को सेना ने गंभीरता से लिया है। इनको डिफ्यूज करने के दौरान कई बार धमाके हो जा रहे हैं और सेना के जवानों की मौत हो जा रही है या फिर वो गंभीर रुप से घायल हो जाते हैं। इस पर रोक लगाने के उद्देश्य से अब विभिन्न एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों में IED की तलाश और नष्ट करने के लिए एक बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चलाए जाने की तैयारी है। नक्सल विरोधी ग्रिड में तैनात सुरक्षा बलों ने आईईडी को खोजने और उसे डिफ्यूज करने के लिए बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया है।

माओवादी सेना के जवानों को रोकने के लिए करते हैं IED का इस्तेमाल 

दरअसल माओवादी वामपंथी अतिवाद (LWE) सेना के जवानों को निशाना बनाने के लिए आईईडी का इस्तेमाल करते हैं वो इनको जमीन के अंदर लगाकर वहां से हट जाते हैं। पिछले तीन वर्षों में विभिन्न राज्यों में IED विस्फोटों में 73 से अधिक सेना के जवान मारे गए हैं जबकि 179 से अधिक घायल हुए हैं। मध्य भारतीय राज्य छत्तीसगढ़ में इस तरह की आइईडी के विस्फोट से दर्जनों सैनिक हताहत हुए हैं। ये सभी सैनिक सबसे ज्यादा नक्सल हिंसा प्रभावित राज्यों में दुघर्टना का शिकार हुए हैं। पिछले तीन वर्षों की समयावधि में आईईडी विस्फोट की घटनाओं की संख्या भी कमोबेश यही रही है। 

 

माओवादी आमने-सामने की नहीं लड़ रहे लड़ाई 

आंकड़ों से पता चलता है कि 2017 में ऐसी कुल 43 घटनाएं हुईं, वे पिछले साल बढ़कर 79 हो गईं और इस साल अगस्त तक 51 से अधिक दर्ज की गईं। इसी तरह, 2017 में इन नक्सल विस्फोटों में 6 नागरिक मारे गए थे, पिछले साल 8 और तीन लोग इस साल अपनी जान गंवा चुके हैं। नक्सली अब सेना के साथ एक-एक लड़ाई में नहीं उतर रहे हैं क्योंकि उनकी लड़ाकू शक्ति और गोला-बारूद के साथ उनकी लड़ाकू शक्ति कम हो गई है। सीआरपीएफ और अन्य बलों द्वारा माओवादियों के खिलाफ की जा रही निरंतर कार्रवाई से उनके हौसले पस्त हो रहे हैं। सीआरपीएफ के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मूसा धिनकरन ने कहा कि माओवादी इसलिए आईईडी का इस्तेमाल करके सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं क्योंकि आमने सामने की लड़ाई में वो किसी तरह से सामने नहीं टिक पाएंगे। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल देश में नक्सल विरोधी अभियानों के लिए प्रमुख सुरक्षा बल है और उसने विभिन्न राज्यों में इस कार्य के लिए करीब एक लाख सैनिकों को तैनात किया है।

1500 से अधिक IED बरामद 

इसी अवधि के दौरान सुरक्षा बलों ने 1,500 से अधिक आईईडी बरामद किए हैं। सीआरपीएफ की ओर से दिए गए डेटा के अनुसार 2017 में 830, 2018 में 425 सैनिक शहीद हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ के एक अधिकारी ने कहा कि विस्फोटक खोजी कुत्तों और गहरी खोज डिटेक्टरों से लैस कर्मियों को तैनात किया गया है। छत्तीसगढ़ के अधिकारी ने कहा कि हमारे पास ऐसे गैजेट या उपकरण नहीं हैं, जो सभी मामलों में छिपे हुए IED का पता लगा सके।

अब क्षेत्रों की मैपिंग की जा रही है और इन बमों को ढूंढने और नियंत्रित तरीके से नष्ट करने के लिए एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। CRPF ने पुणे में अपने विशेष और एक तरह के काउंटर-IED संस्थान को भी शुरु किया है इसे भारतीय IED प्रबंधन संस्थान कहा जाता है। इस संस्थान में इन तात्कालिक बमों की तकनीक का विश्लेषण करने, बलों के लिए जागरूकता सामग्री बनाने और नए काम करने के लिए है।  

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