Move to Jagran APP

IED Blasts से बचने को वेब फ्रिक्वेंसी, नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति तैयार

IED Blasts के जरिए नक्सली अक्सर सुरक्षा बलों और वीआईपी मूवमेंट को निशाना बनाते रहते हैं। हाल में गढ़ चिरौली में नकस्लियों ने IED Blast कर सीआरपीएफ के 15 जवानों की हत्या कर दी थी।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 03:35 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 03:35 PM (IST)
IED Blasts से बचने को वेब फ्रिक्वेंसी, नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति तैयार
IED Blasts से बचने को वेब फ्रिक्वेंसी, नक्सलियों को मुंहतोड़ जवाब देने की रणनीति तैयार

रायपुर, जेएनएन। छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के IED बम को पकड़ने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। नई तकनीक में 120 सेंटीमीटर पहले ही सेंसर आइईडी की जानकारी दे देगा। खास बात यह है कि ये तकनीक पत्थर, दीवार, ईंट और प्लास्टिक में रखे आइईडी को भी पकड़ लेगी। स्टीरियो हेडफोन के जरिये इसकी 24 घंटे तक मॉनिटरिंग भी की जा सकती है। छत्तीसगढ़ में पिछले दो साल में नक्सलियों ने रणनीति बदली है और फोर्स को सबसे ज्यादा आइईडी  ब्लास्ट से नुकसान हुआ है।

loksabha election banner

एंटी नक्सल ऑपरेशन के आला अधिकारियों ने बताया कि यह काफी हल्का है और क्रिस्टल डिटेक्शन में भी कामयाब है। इससे आइईडी के साथ रेडियो ट्रांसमिटेड डिवाइस का भी पता लगाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल पहले से ही एयरपोर्ट, सरकारी भवनों की सुरक्षा में किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि स्टीरियो डिवाइस हाई सेंसटिव एरिया में भी पूरी मुस्तैदी से जानकारी देने में सक्षम है।

छत्तीसगढ़ पुलिस के आला अधिकारियों ने बताया कि इसका प्रयोग बस्तर के सुकमा और बीजापुर में किया जा रहा है। इसके सफल परिणाम सामने आए हैं। दरअसल, नक्सलियों ने लोकसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा में विधायक भीमा मंडावी और गढ़चिरौली में 15 जवानों की आइईडी ब्लास्ट में हत्या कर दी थी। इसके बाद से इस तकनीक के इस्तेमाल की मांग तेज हुई है।

पिछले दो साल से आइईडी ब्लास्ट में सबसे ज्यादा शहीद 

सीआरपीएफ के आला अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2019 में अब तक नक्सली हिंसा में 28 जवान शहीद हो चुके हैं। इनमें से 22 ने आइईडी  ब्लास्ट में अपनी जान गंवाई है। वहीं, 2018 में 67 में 41 जवान और वर्ष 2017 में 74 जवान आइईडी ब्लास्ट की चपेट में आए थे। बताया जा रहा है कि इससे पहले नक्सली एंबुस लगाकर जवानों पर हमला करते थे। लेकिन पिछले दो साल में ट्रेंड को बदलते हुए सीधे ब्लास्ट कर रहे हैं। इसमें नक्सलियों को कम नुकसान उठाना पड़ता है, जबकि फोर्स के अधिकांश जवान सीधे चपेट में आ जाते हैं।

दो साल में 419 आइईडी हुई बरामद

एंटी नक्सल ऑपरेशन के अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में दो साल में 419 आइईडी बरामद हुई है। सबसे ज्यादा 654 आईईडी झारखंड, 118 बिहार और 40 आईईडी ओडिशा में बरामद हुई है। नक्सल प्रभावित प्रदेशों में वर्ष 2019 में ही अब तक 71 आईईडी बरामद हुई हैं। वहीं, 2018 में 419 और वर्ष 2017 में 796 आइईडी बरामद हुई थी।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.