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अब और पास आएंगे जदयू-कांग्रेस

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के भविष्य पर गहराए बादल के बाद बिहार के राजनीतिक समीकरण बदलने तय हैं। खासकर अल्पसंख्यक मतों का ध्रुवीकरण और मजबूत करने की कोशिश हो सकती है। अब तक थोड़े दूर-थोड़े पास खडे़ जदयू और कांग्रेस के हाथ मिलाने की संभावना भी बढ़ गई है। यह किसी से छिपा नहीं रहा है कि लालू की राजनीतिक हैसि

By Edited By: Published: Tue, 01 Oct 2013 09:39 PM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2013 09:44 PM (IST)
अब और पास आएंगे जदयू-कांग्रेस

नई दिल्ली [जाब्यू]। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के भविष्य पर गहराए बादल के बाद बिहार के राजनीतिक समीकरण बदलने तय हैं। खासकर अल्पसंख्यक मतों का ध्रुवीकरण और मजबूत करने की कोशिश हो सकती है। अब तक थोड़े दूर-थोड़े पास खडे़ जदयू और कांग्रेस के हाथ मिलाने की संभावना भी बढ़ गई है।

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यह किसी से छिपा नहीं रहा है कि लालू की राजनीतिक हैसियत तभी से कम होनी शुरू हो गई थी, जब से उनका प्रसिद्ध माई [मुस्लिम-यादव] समीकरण का जोड़ थोड़ा कमजोर पड़ने लगा था। बहरहाल अब तक यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ था। चारा घोटाले में लालू को सजा मिलने के बाद इसका सबसे ज्यादा असर यहीं दिखेगा। पुराना इतिहास बताता है कि लालू के जेल जाने की स्थिति में सहानुभूति के कारण पार्टी और मजबूत हुई थी। लेकिन तब की स्थिति अलग थी। पार्टी सत्ता में थी।

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वर्तमान स्थिति में माना जा रहा है कि अब लड़ाई जदयू और भाजपा के बीच होगी, जिसमें राजद तीसरे नंबर का खिलाड़ी होगा। इसका सीधा कारण अल्पसंख्यक बनेंगे। माना जा रहा है कि लालू की गैरमौजूदगी में अल्पसंख्यकों में भारी असमंजस होगा और वह ऐसे खेमे की तलाश करेंगे जो भाजपा के सामने मजबूत हो। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बदली हुई परिस्थिति में यादव मतदाताओं में भी सोच विचार हो सकता है।

ऐसी स्थिति में जदयू और कांग्रेस की नजदीकी बढ़ सकती है। दरअसल अल्पसंख्यक मतों का ध्रुवीकरण तभी संभव है जब दोनों इकट्ठा हों। लंबी अवधि में जदयू को इसका हर्जाना भरना पड़ सकता है, लेकिन नरेंद्र मोदी के कंट्टर विरोधी बनकर खड़े हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिलहाल हर हाल में राज्य में भाजपा को परास्त देखना चाहेंगे। वैसे भी बिहार को पिछड़े राज्यों की श्रेणी में रखकर कांग्रेस ने अपनी ओर से हाथ बढ़ा दिया है। बताते हैं कि सीटों के बंटवारे को लेकर जरूर कुछ अड़चन आ सकती है लेकिन दोनों दलों के सामने फिलहाल बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है।

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