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हिजाब विवाद में नया ट्विस्‍ट, हाईकोर्ट से स्‍कूली पोशाक के रंग का हिजाब पहनने की अनुमति दिए जाने की मांग, दी गई ये दलीलें

कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद के बीच एक नया ट्विस्‍ट आ गया है। याचिकाकर्ता लड़कियों ने सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि उन्हें स्कूल के रंग के इस्लामी हेडस्कार्फ को पहनने की अनुमति दी जाए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 14 Feb 2022 07:59 PM (IST)Updated: Tue, 15 Feb 2022 06:44 AM (IST)
कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद में नया ट्विस्‍ट आ गया है।

बेंगलुरू, पीटीआइ। हिजाब के पक्ष में याचिका दाखिल करने वाली लड़कियों ने सोमवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि उनको स्कूली ड्रेस के रंग का हिजाब पहनने की अनुमति दी जाए। शांति, सद्भाव और कानून-व्यवस्था को भंग करने वाले किसी भी कपड़े के इस्‍तेमाल को प्रतिबंधित करने वाले सरकारी आदेश को अदालत में चुनौती देने वाली छात्राओं की हाईकोर्ट से इस अपील के बाद हिजाब विवाद में नया मोड़ आ गया है।

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हिजाब पहनने की अनुमति देने की मांग

कर्नाटक उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी (Chief Justice Ritu Raj Awasthi), न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित (Justice Krishna M Dixit) और न्यायमूर्ति जेएम खाजी (JM Khazi) की पूर्ण पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता लड़कियों की ओर से उक्‍त मांग रखी गई। मालूम हो कि यह पीठ राज्‍य सरकार को कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

स्‍कूली ड्रेस के रंग का हिजाब पहनने की अनुमति दें

उडुपी के सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कालेज की इन लड़कियों की ओर से पेश हुए वकील देवदत्त कामत ने पीठ के समक्ष अपनी दलीलें रखी। देवदत्त कामत ने कहा कि मैं अदालत से सरकारी आदेश को चुनौती देते हुए स्‍कूली ड्रेस के रंग का हिजाब पहनने की अनुमति देने को लेकर आदेश जारी करने की गुजारिश कर रहा हूं।

अनुच्छेद-25 का दिया हवाला

याचिकाकर्ताओं की वकील कामत ने अपनी दलील में कहा कि हिजाब पहनना एक अनिवार्य धार्मिक प्रथा है। ऐसे में हिजाब के इस्तेमाल पर रोक लगाना संविधान के अनुच्छेद-25 में प्रदान किए गए अधिकारों का उल्लंघन है। कामत ने यह भी कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में भी मुस्लिम छात्राओं को स्कूल ड्रेस के रंग का हिजाब पहनने की अनुमति दी जाती है। ऐसे में यदि केंद्रीय विद्यालयों में नियम है तो यहां भी लागू किया जा सकता है।

...तो अनुच्छेद-25 का उल्लंघन होगा

कामत ने कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य अनुच्‍छेद-25 के प्रविधान के अधीन हैं। अनुच्छेद-25 के अनुसार सभी व्यक्ति समान रूप से अंत:करण की स्वतंत्रता और धर्म को मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने के अधिकार के हकदार हैं। ऐसे में हिजाब के इस्‍तेमाल पर रोक लगाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद-25 का उल्लंघन होगा।

...तो पैदा हो सकती है समस्‍या

देवदत्त कामत ने अपनी दलीलों में कहा कि कर्नाटक सरकार ने एक विधायक की मौजूदगी वाली शिक्षा विकास समिति यानी सीडीसी को पोशाक के निर्धारण के लिए अधिकृत किया है। इतना ही नहीं प्री-यूनिवर्सिटी की सेकेंड इयर की स्‍टूडेंट तो दो साल पहले यानी नामांकन कराने के समय से ही हिजाब पहनती आ रही हैं जबकि सरकार कहती है कि स्‍कूल में हिजाब पहनने की छूट देने से समस्या खड़ी हो सकती है। फ‍िलहाल मसले पर सुनवाई जारी रहेगी। अदालत ने अगली सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी।

कर्नाटक में खुले स्‍कूल, संवेदनशील इलाकों में धारा-144

वहीं दूसरी ओर हिजाब को लेकर मचे बवाल के चलते करीब एक हफ्ते की बंदी के बाद कर्नाटक में सोमवार को 10वीं तक के स्कूल खुल गए। तनाव की स्थिति को देखते हुए राज्य में स्कूलों के आसपास और मेंगलुरु, दक्षिण कन्नड़ एवं बेंगलुरु में संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लगाई गई है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।राज्य के जिस उडुपी जिले से हिजाब विवाद शुरू हुआ था वहां भी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की सामान्य उपस्थिति रही। ज्यादातर मुस्लिम छात्राएं बिना हिजाब के ही स्कूल पहुंचीं।

हिजाब विवाद पर कांग्रेस सदस्य काली पट्टी बांधकर सदन पहुंचे

कर्नाटक विधानमंडल का संयुक्त सत्र भी सोमवार से शुरू हो गया है। पहले दिन राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने विधानमंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। इसमें हिजाब विवाद के विरोध में कांग्रेस विधायक काली पट्टी बांधकर पहुंचे। कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने कहा कि हिजाब विवाद भाजपा द्वारा पैदा किया गया है जो छात्रों को स्कूल में भगवा गमछा लेकर भेज रहे हैं और उसी के विरोध में उन लोगों ने काली पट्टी लगाई है। उन्होंने यह भी कहा कि वे लोग इस साल गणतंत्र दिवस परेड में नारायण गुरु की झांकी को शामिल नहीं करने का भी विरोध कर रहे हैं।


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