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अदालतों से परे विवाद निपटाने को बनेगा नई दिल्ली इंटरनेशनल आरबिट्रेशन केंद्र

नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक 2017 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को हुई अपनी बैठक में मंजूरी दी।

By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 16 Dec 2017 10:28 PM (IST)Updated: Sat, 16 Dec 2017 10:28 PM (IST)
अदालतों से परे विवाद निपटाने को बनेगा नई दिल्ली इंटरनेशनल आरबिट्रेशन केंद्र
अदालतों से परे विवाद निपटाने को बनेगा नई दिल्ली इंटरनेशनल आरबिट्रेशन केंद्र

नितिन प्रधान, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू वाणिज्यिक विवादों के त्वरित निपटान और अदालती मुकदमेबाजी को कम करने के लिए सरकार ने दिल्ली में एक अंतरराष्ट्रीय आरबिट्रेशन केंद्र स्थापित कर रही है। यह केंद्र इस तरह के विवादों का एक स्वतंत्र और स्वायत्त वैकिल्पक समाधान तंत्र बने इसके लिए इसे कानून के जरिए स्थापित किया जा रहा है। इस आशय का एक बिल सरकार जल्द ही संसद में पेश करेगी।

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नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक 2017 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को हुई अपनी बैठक में मंजूरी दी। कानून मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इस तरह के संस्थान की आवश्यकता लंबे अरसे से महसूस की जा रही थी। यह केंद्र ज्यादा कारगर और स्वायत्तता के साथ काम कर सके इसके लिए आरबिट्रेशन के लिए पहले से मौजूद अंतरराष्ट्रीय वैकल्पिक विवाद समाधान की जिम्मेदारियों को अधिग्रहण नया केंद्र कर लेगा। इस केंद्र को वाणिज्यिक क्षेत्र में अधिक मान्य बनाने के लिए इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने का प्रावधान भी विधेयक में रखा गया है। सूत्र बताते हैं कि सरकार इस विधेयक को शीतकालीन सत्र में ही संसद में पेश कर सकती है। वोडाफोन टैक्स विवाद सरीखे मामलों को सुलझाने में यह केंद्र अहम भूमिका निभाएगा।

इस संबंध में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वर्तमान अंतरराष्ट्रीय वैकल्पिक विवाद समाधान केंद्र संस्थागत आरबिट्रेशन की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने में असफल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक न तो यह संस्थान अधिक मात्रा में मामलों को ले सका और न ही मध्यस्थता के पक्षकारों के लिए पसंदीदा जगह बन पाया। इन्हीं वजहों से समिति ने सरकार को इस केंद्र को अपने हाथ में लेकर इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान बनाने की सिफारिश की थी।

संसद से इस विधेयक के पारित होने के बाद नई दिल्ली अंतराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एनडीआइसी) की जो तस्वीर बनेगी उसमें सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का न्यायाधीश अध्यक्ष होगा। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रकार के संस्थागत आरबिट्रेशन का पर्याप्त ज्ञान व अनुभव रखने वाले दो पूर्णकालिक या अंशकालिक सदस्य होंगे। इनके अतिरिक्त केंद्र सरकार बारी बारी से किसी वाणिज्यिक और औद्योगिक निकाय के एक प्रतिनिधि को अंशकालिक सदस्य के रूप में नियुक्त करेगी।

विधि और न्याय मंत्रालय के सचिव या उनके प्रतिनिधि के तौर पर संयुक्त सचिव स्तर का कोई अधिकारी इसका पदेन सदस्य होगा। साथ ही केंद्र में वित्त मंत्रालय की तरफ से नामित एक वित्त सलाहकार भी इसका पदेन सदस्य रहेगा। केंद्र का एक मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) भी पदेन सदस्य के तौर पर होगा।

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