पितृत्व विवाद में अपना पक्ष नहीं रख पाएंगे एनडी
नई दिल्ली। पितृत्व को लेकर रोहित शेखर द्वारा दायर याचिका मामले में अब वरिष्ठ कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष नहीं रख पाएंगे। न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने स्थानीय आयुक्त की रिपोर्ट पर विचार करते हुए कहा कि तिवारी अपना पक्ष उनके सामने रखने में असमर्थ रहे हैं, जबकि उनको ऐसा करने का पूरा
नई दिल्ली। पितृत्व को लेकर रोहित शेखर द्वारा दायर याचिका मामले में अब वरिष्ठ कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष नहीं रख पाएंगे। न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने स्थानीय आयुक्त की रिपोर्ट पर विचार करते हुए कहा कि तिवारी अपना पक्ष उनके सामने रखने में असमर्थ रहे हैं, जबकि उनको ऐसा करने का पूरा मौका दिया गया था। ऐसे में उनको पक्ष रखने का अधिकार अब नहीं दिया जाएगा। अब इस मामले में 18 सितंबर को सुनवाई होगी।
ज्ञात हो कि पूर्व अतिरिक्त जिला जज एसएम चोपड़ा को इस मामले में स्थानीय आयुक्त नियुक्त किया गया था ताकि वह दिन-प्रतिदिन दोनों पक्षों के पक्ष या पेश किए गए सबूतों को रिकॉर्ड कर सकें। आयुक्त ने जस्टिस सांघी को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि 88 वर्षीय तिवारी ने निश्चित समय अवधि में अपने सबूत पेश नहीं किए। न ही उनके समक्ष 21 अगस्त को होने वाली सुनवाई के दौरान पेश हुए। इस रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए ही जस्टिस सांघी ने कहा, अब तिवारी को अपना पक्ष रखने का और मौका नहीं दिया जा सकता है।
पूर्व में स्थानीय आयुक्त ने एक जुलाई को तिवारी को चार सप्ताह का समय देते हुए इस मामले में उनका पक्ष रखने का मौका दिया था। इसके बाद तिवारी की तरफ से 21 अगस्त को उनके वकील ने पेश होकर कहा कि मामले की सुनवाई हाई कोर्ट परिसर की बजाय किसी अन्य जगह करवाई जाए। इससे पूर्व पिछले साल 27 जुलाई को हाई कोर्ट ने इस मामले में डीएनए रिपोर्ट को देखने के बाद कहा था कि रिपोर्ट के अनुसार तिवारी ही रोहित शेखर के जैविक पिता हैं।
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