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सुप्रीम कोर्ट ने महागुन बिल्डर को आम्रपाली के 240 करोड़ रुपये मार्च तक चुकाने के दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महागुन बिल्डर को उस प्लॉट के लिए 240 करोड़ रुपये जमा करने को कहा है जो कर्ज में डूबी रीयल एस्टेट कंपनी आम्रपाली ने दिया था।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 06:03 AM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 06:03 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने महागुन बिल्डर को आम्रपाली के 240 करोड़ रुपये मार्च तक चुकाने के दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने महागुन बिल्डर को आम्रपाली के 240 करोड़ रुपये मार्च तक चुकाने के दिए निर्देश

नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महागुन बिल्डर को उस प्लॉट के लिए 240 करोड़ रुपये जमा करने को कहा है जो कर्ज में डूबी रीयल एस्टेट कंपनी आम्रपाली ने दिया था। यह रकम उसे मार्च तक प्लॉट पर निर्माण कार्य शुरू होने से पहले चुकानी होगी। महागुन बिल्डर अगर ऐसा नहीं कर सके तो इस जमीन की नीलामी नोएडा प्राधिकरण करेगा। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि अगर महागुन बिल्डर ने बकाया रकम नहीं चुकाई तो नोएडा अथारिटी उस जमीन को नीलाम कर देगी।

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इससे पहले, सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने संबंधित सभी बैंकों के चेयरमैन और सीएमडी को निर्देशित किया है कि वह आम्रपाली रीयल एस्टेट (Amrapali Real Estate) के नोएडा और ग्रेटर नोएडा के होम बायर्स की कर्ज की धनराशि का भुगतान कराएं ताकि नए सिरे से वित्तीय योजना को सुगठित किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट सैकड़ों होम बायर्स की ओर से दायर याचिकाओं की भी सुनवाई कर रहा है जिसमें आम्रपाली कंपनी से फ्लैट का कब्जा देने को कहा गया है और या फिर उनका पैसा लौटाने की मांग की गई है।

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एनसीआर में आम्रपाली समूह के खिलाफ घर खरीदारों की ओर से दाखिल सभी मामलों की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपने का निर्देश दिया था। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की ओर से दाखिल अर्जी पर यह आदेश दिया था। दिल्‍ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने कहा है कि आम्रपाली समूह के खिलाफ घर खरीदारों द्वारा उत्तर प्रदेश और दिल्ली के विभिन्न थानों में मामले दर्ज कराए गए हैं। पुलिस ने पूछा था कि जांच के लिए सभी को एकसाथ शामिल किया जाए या अलग-अलग जांच की जाए।

जून महीने में सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप मामले की सुनवाई करते हुए मल्टी नेशनल कंपनी जेपी मॉर्गन को 140 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया था। यह पैसा आम्रपाली ग्रुप के घर खरीदारों का था जिसे नियमों का उल्लंघन कर दूसरे काम में लगा दिया गया था। फॉरेंसिक ऑडिट में यह बात सामने आई थी। शीर्ष अदालत ने पूछा था कि कंपनी बताए कि वह घर खरीदारों का पैसा कब और कैसे वापस करेगी। पिछले साल 23 जुलाई को शीर्ष अदालत ने घर खरीदारों से विश्वासघात का दोषी करार देते हुए रियल एस्टेट सेक्टर के कानून रेरा के तहत आम्रपाली ग्रुप का रजिस्ट्रेशन रद करने का आदेश सुनाया था। 

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