Air Pollution: Delhi-NCR के आसपास बढ़ेगी हरियाली, प्रति हेक्टेयर लगाए जाएंगे एक हजार पौधे
Delhi-NCR वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने अरावली सहित दिल्ली- एनसीआर से सटे राज्यों व मध्य प्रदेश के करीब 261 वर्ग किमी क्षेत्र में सघन पौधरोपण का लिया फैसला है। प्रति हेक्टेयर लगाए जाएंगे एक हजार पौधे इन क्षेत्रों में आम लोगों के जुड़ाव को बढ़ाने के लिए बनेंगे नेशनल पार्क।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। बढ़े वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली-एनसीआर की जब सांसें फूल रही है, ऐसे समय में राहत की एक बड़ी खबर है। केंद्र ने दिल्ली-एनसीआर और उससे सटे राज्यों की सीमाओं के नजदीक नए जंगल उगाने की एक अहम योजना तैयार की है। जो इस पूरे क्षेत्र की बढ़ती आबादी के लिए आक्सीजन के न सिर्फ एक बड़े बैंक के रूप में काम करेगा बल्कि आकर्षण का केंद्र भी होगा। फिलहाल दिल्ली-एनसीआर से सटे अरावली के उजाड़ वन क्षेत्र के साथ हरियाणा व मध्य प्रदेश के करीब 261 वर्ग किमी क्षेत्र को इसके लिए चिन्हित किया गया है। जो या तो बेकार वनभूमि है फिर वन क्षेत्र के लिए आरक्षित नहीं है।
Delhi-NCR के आसपास हरियाली बढ़ाने की योजना
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर से सटे उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों से भी ऐसी भूमि उपलब्ध कराने के लिए कहा है, जहां नए जंगल उगाए जा सके। हालांकि मंत्रालय ने अरावली के साथ हरियाणा और मध्य प्रदेश में चिन्हित की गई भूमि पर नए जंगल की योजना पर काम शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि इसका विकास ग्रेटर निकोबार द्वीप की विकास योजनाओं से वन क्षेत्र को होने वाली क्षति के बदले मिलने वाली राशि से होगा।
वैसे तो नियमों के तहत जिन क्षेत्र में वन क्षेत्र या वन्यजीवों को क्षति हो रही है, उससे मिलने वाली राशि का इस्तेमाल उसी क्षेत्र या राज्य में की जाए। लेकिन ग्रेटर निकोबार द्वीप पहले से ही इतना सघन वन क्षेत्र है कि वहां कोई पौधरोपण के लिए कोई खाली जगह नहीं है। ऐसे में मंत्रालय ने कैम्पा ( कोपेनसेटरी एफारेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथारिटी) के तहत ग्रेटर निकोबार से मिलने वाली पूरी राशि को दिल्ली-एनसीआर के आसपास हरियाली बढ़ाने पर खर्च करने का फैसला लिया है।
इस पूरी योजना पर काम कर रहे मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चिन्हित किए गए क्षेत्र में प्रति हेक्टेयर करीब एक हजार पौधे रोपे जाएंगे। इसके साथ ही इस क्षेत्र में नेशनल पार्क और वन्यजीव उद्यान भी तैयार किए जाएंगे, ताकि इस क्षेत्र से आम लोगों का जुड़ाव बना रहे।
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साथ ही पूरा क्षेत्र लगातार निगरानी में भी रहेगा। फिलहाल इसे एक सफारी के रूप में विकसित करने की योजना है जिसमें शेर और बाघ के साथ दूसरे वन्यजीव भी देखने को मिलेंगे।
दिल्ली-एनसीआर से सटा होने के चलते पर्यटन की काफी संभावनाएं देखी जा रही है। ऐसे में इसके विकास में इससे जुड़े पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा। योजना के मुताबिक अगले कुछ सालों में इस क्षेत्र में वन क्षेत्र के विकास पर करीब साढ़े तीन से चार हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।
इसके तहत मध्य प्रदेश के जिन क्षेत्र को चिन्हित किया गया है वह चंबल का बीहड़ का क्षेत्र है। जो ऐसी बेकार भूमि है। जहां न तो किसी तरह का जंगल है न उस पर खेती होती है। दिल्ली के आसपास खाली भूमि की उपलब्धता न होने के चलते इस क्षेत्र को चुना गया है।
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