जवानों की कम तादाद बन गई हमले की वजह
सुकमा के पिड़मेल में एसटीएफ जवानों की कम संख्या ही उन पर हमले की बड़ी वजह मानी जा रही है। शनिवार को जिस स्थान पर जवानों की नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई थी, वहां से अलग-अलग स्थानों पर सुरक्षा बलों के कैंप हैं। अमूमन घटना स्थल से सभी कैंपों की
दंतेवाड़ा। सुकमा के पिड़मेल में एसटीएफ जवानों की कम संख्या ही उन पर हमले की बड़ी वजह मानी जा रही है। शनिवार को जिस स्थान पर जवानों की नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई थी, वहां से अलग-अलग स्थानों पर सुरक्षा बलों के कैंप हैं। अमूमन घटना स्थल से सभी कैंपों की दूरी 12 से 15 किलोमीटर है। टुकड़ी में शामिल जवानों की संख्या के साथ नक्सलियों को रिफोर्समेंट का पूरा अंदाजा था, जिसे ध्यान में रखकर नक्सलियों ने जवानों को घेरने जाल बिछाया था। जवानों के मुकाबले नक्सलियों की तादात अच्छी खासी थी, जिससे वे जवानों पर भारी पड़ गए।
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पोलमपल्ली पोस्ट , जहां से जवान सर्चिग पर रवाना हुए थे, घटना स्थल से लगभग 13 किमी दूर है। इसी प्रकार कांकेरलंका 12 किमी, पुसवाड़ा 12 किमी, तिमेलवाड़ा 13 किमी और चिंतागुफा कैंप लगभग 15 किमी दूर स्थित है। कैंप अधिक दूर न होने पर भी एसटीएफ जवानों की कम संख्या हमले की ठोस वजह बन गई। दूसरी ओर घटना में नक्सलियों की तीन नंबर कंपनी का हाथ होने की बात सामने आ रही है। माओवादियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी अंतर्गत कंपनी का कमांडर हिड़मा है। लगभग एक दशक से अधिक समय से जगरगुंडा, चितागुफा इलाके में यह खूंखार नक्सली सक्रिय हैं।
नक्सलियों की मांद
घटना स्थल के नजदीक आधा दर्जन से अधिक गांव हैं। पूरे इलाके में नक्सलियों की तूती बोलती है। कोलईगुडा, जगावरम, तोलवाई, मोसलमडगू, करीगुडम, पेंटापाड़, कोर्रापाड़, पालामड़ग आदि गांवों में नक्सली अपनी समानांतर सरकार चला रहे हैं। चिंतागुफा इलाके को नक्सलियों की अघोषित राजधानी भी कहा जाता है। पिछली घटनाओं के आधार पर इस मांद में ऑपरेशन फोर्स के लिए चुनौती पूर्ण है।
यू आकार में लगाया था घात
नक्सलियों ने सबसे खतनाक माने जाने वाले यू आकार का घात लगाकर जवानों को फंसाया। जैसे ही फोर्स पिड़मेल पहुंची, नक्सलियों ने पहाड़ी की ओर से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। ऊपर से हो रही गोलीबारी से जवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
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सीआरपीएफ से नहीं मिला बैकअप
हमेशा की तरह नक्सलियों ने पुलिस को जाल में फंसाने के लिए यह खबर भिजवाई कि पिड़मेल में नक्सलियों की मौजूदगी है। घटनास्थल से तीन किमी दूरी पर स्थित सीआरपीएफ कैंप है लेकिन जवानों को उनसे किसी प्रकार की मदद नहीं मिल सकी। उल्लेखनीय है कि घटनास्थल के आसपास चिंतागुफा, गोरगुडा, कांकेरलंका और पुसवाड़ा के मध्य सुरक्षा बलों के चार कैंप हैं। यहां से फौरी तौर पर यदि सहायक पार्टी मौके पर पहुंच जाती तो नुकसान कम हो सकता था।
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