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एल्गार परिषद-माओवादी मामले में सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद नवलखा ने पता बदलने की मांग की, SC का किया रुख

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने हाउस अरेस्ट का पता बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। वह 14 अप्रैल 2020 से हिरासत में है। वहीं अभी मुंबई के एक सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद हैं। (फाइल फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaPublished: Fri, 21 Apr 2023 12:19 PM (IST)Updated: Fri, 21 Apr 2023 12:19 PM (IST)
एल्गार परिषद-माओवादी मामले में सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद नवलखा ने पता बदलने की मांग की, SC का किया रुख

नई दिल्ली, पीटीआई। एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने हाउस अरेस्ट का पता बदलने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दरअसल, गौतम नवलखा मुंबई के एक सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद हैं। लेकिन आज उन्होंने पता बदलने की मांग को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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नवलखा ने पता बदलने की मांग की

जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ को नवलखा के वकील ने बताया कि जिस जगह पर उन्हें नजरबंद किया गया है, वह एक सार्वजनिक पुस्तकालय है और इसे खाली करने की जरूरत है। नवलखा के वकील ने तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि मैं केवल मुंबई में पता बदलने की मांग कर रहा हूं।

अदालत में एक अन्य मामले में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि उन्हें आवेदन के उल्लेख के बारे में कोई जानकारी नहीं है और उन्होंने इसका जवाब देने के लिए समय मांगा है।

अगले शुक्रवार को होगी सुनवाई

सर्वोच्च न्यायलय की पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार को करेगी। पिछले साल 10 नवंबर को हाईकोर्ट ने नवलखा को उनके बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण नजरबंद रखने की अनुमति दी थी। उस समय में वह नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे।

जिसके बाद उन्हें सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद किया गया। मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा 14 अप्रैल, 2020 से हिरासत में है। एल्गार परिषद-माओवादी मामले को छोड़कर नवलखा की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है और यहां तक कि भारत सरकार ने उन्हें माओवादियों से बातचीत के लिए वार्ताकार के रूप में नियुक्त किया था।

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भड़काऊ भाषण देने पर दर्ज है केस

गौरतलब है कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में उन्होंने कथित भड़काऊ भाषण दिया था। जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि अगले दिन पश्चिमी महाराष्ट्र शहर के बाहरी इलाके कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी। इसी मामले में उन पर केस दर्ज किया गया था।

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