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रिश्तों की संजीवनी लेकर मोदी जाएंगे नेपाल

पड़ोसियों से रिश्तों को विदेश नीति की प्राथमिकता करार दे चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह शुरू हो रहे अपने नेपाल दौरे में संबंधों की नई संजीवनी लेकर काठमांडू पहुंचेंगे। बीते 17 सालों में हो रही भारतीय प्रधानमंत्री की इस पहली यात्रा में वह करीबी पड़ोसी नेपाल से नए निवेश व कारोबारी करारों के जरिये गर्मजो

By Edited By: Published: Fri, 01 Aug 2014 10:07 PM (IST)Updated: Fri, 01 Aug 2014 10:07 PM (IST)
रिश्तों की संजीवनी लेकर मोदी जाएंगे नेपाल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पड़ोसियों से रिश्तों को विदेश नीति की प्राथमिकता करार दे चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह शुरू हो रहे अपने नेपाल दौरे में संबंधों की नई संजीवनी लेकर काठमांडू पहुंचेंगे। बीते 17 सालों में हो रही भारतीय प्रधानमंत्री की इस पहली यात्रा में वह करीबी पड़ोसी नेपाल से नए निवेश व कारोबारी करारों के जरिये गर्मजोशी भरे रिश्तों की भी सौगात लेकर जा रहे हैं। पीएम के दौरे में नेपाल को भारतीय विकास सहायता बढ़ाने और साझा सांस्कृतिक विरासत के तार जोड़ने के लिए पर्यटन संबंधी करार संभव हैं। बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी से चुनकर संसद में पहुंचे मोदी 4 अगस्त को पड़ रहे सावन के अंतिम सोमवार को पशुपति नाथ मंदिर में भगवान भोले शंकर की पूजा भी करेंगे।

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मोदी की इस ऐतिहासिक यात्रा को लेकर नेपाल में भी खासा उत्साह है। नेपाली प्रधानमंत्री सुशील कुमार कोईराला ने प्रोटोकॉल को तोड़ 3 अगस्त को स्वयं त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मोदी की अगवानी का फैसला किया है। वहीं नेपाल ने प्रधानमंत्री मोदी को संविधान सभा को संबोधित करने का भी निमंत्रण दिया है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी 3 अगस्त को नेपाली संविधान सभा को संबोधित करेंगे। इसके लिए रविवार को नेपाली संविधान सभा की विशेष बैठक होगी। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री विपक्ष के नेता प्रचंड तथा यूएमएल, मधेसी मोर्चा समेत कई राजनीतिक दलों के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।

डेढ़ दशक से अधिक वक्त के बाद हो रहे भारतीय प्रधानमंत्री की इस नेपाल यात्रा में व्यापार, वाणिज्य, जलविद्युत परियोजनाओं, सीमा सहयोग, रक्षा व सैन्य साझेदारी तथा संस्कृति व पर्यटन जैसे मुद्दों पर अहम बातचीत होनी है। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच 3 अगस्त को शिखर वार्ता होगी। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक भारत करीबी पड़ोसी नेपाल को इस साल से विकास सहायता में बढ़ोतरी कर सकता है।

उत्तर बिहार में नेपाल से प्रवाहित होने वाली नदियों के कारण हर साल आने वाली बाढ़ के मद्देनजर भारत की ओर से जल प्रबंधन और सूचनाओं की साझेदारी का मुद्दा भी शिखर वार्ता में उठना तय है। गौरतलब है कि नेपाल को जल प्रबंधन के लिए भारत अब तक 200 करोड़ की सहायता दे चुका है। हालांकि, दोनों मुल्कों के बीच अब भी इसके लेकर दिक्कतें हैं। भारत उपग्रह के जरिये नदियों के जलस्तर पर सूचनाएं साझा करने की मांग कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि बीते दिनों भारत की ओर से प्रस्तावित ऊर्जा सहयोग समझौते को लेकर उठे विवादों के बीच पीएम की इस यात्रा से नेपाल में फैलाई जा रही भ्रांतियों को भी दूर करने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि गत सप्ताह विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेपाल दौरे में भारत ने नेपाल की ओर से दशकों पुरानी मित्रता संधि पर भी सुधार के लिए भी विदेश सचिव स्तरीय वार्ता में सुझाव देने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे में दोनों मुल्कों के बीच ¨हदू व बौद्ध धार्मिक स्थलों को जोड़ने वाले पर्यटन सर्किट पर करार संभव है। इसके तहत काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिग और बनारस स्थित विश्वनाथ मंदिर को सीधे जोड़ते हुए पर्यटन रूट के विकास पर सहमति अपेक्षित है। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री 4 अगस्त को पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा भी करेंगे। इस बाबत पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (उत्तर) अभय ठाकुर ने बताया कि श्रावण मास के सोमवार के धार्मिक महत्व को देखते हुए इस तिथि का चुनाव किया गया है।

गौरतलब है कि मोदी के इस दौरे से पहले 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने नेपाल की यात्रा की थी। नेपाल की यात्रा पर जाने वाले आखिरी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी रहे जो दक्षेस सम्मेलन में भाग लेने के लिए 2002 में नेपाल गए थे।

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