बाबरी विध्वंस के बाद नरसिम्हा राव ने IB से कराई थी सोनिया गांधी की जासूसी
एक किताब में दावा किया गया है कि 7 दिसंबर, 1992 को भी राव ने 10 जनपथ की हलचल जानने के लिए एक आईबी अफसर को सोनिया के घर भेजा था।
नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने खुफिया जांच एजेंसी आईबी से सोनिया गांधी और उनके घर 10 जनपथ पर नजर रखने को कहा था। इतना ही नहीं राव ने सोनिया गांधी को फेवर करने वाले कैबिनेट में शामिल नेताओं की लिस्ट भी तैयार कराई थी।
यह खुलासा लेखक विनय सीतापति की आने वाली किताब- 'हाफ लाइन: हाउ पीवी नरसिम्हा राव ट्रांसफॉर्म इंडिया' में किया गया है। किताब में दावा किया गया है कि 7 दिसंबर, 1992 को भी राव ने 10 जनपथ की हलचल जानने के लिए एक आईबी अफसर को सोनिया के घर भेजा था। सोनिया ने कांग्रेस नेताओं को राव पर और राव ने आईबी को 10 जनपथ पर नजर रखने के लिए लगा दिया था। राव ने एक आईबी अफसर से पूछा था कि कितने नेता उन्हें सपोर्ट करते हैं और कितने 10 जनपथ के साथ हैं।
आईबी ने तैयार की थी लिस्ट
आईबी ने अपनी लिस्ट में नेताओं के नाम के आगे राज्य, जाति, उम्र, ईमानदारी और कॉमेंट के कॉलम बनाए थे। जैसे, मणिशंकर अय्यर के लिए 'तमिलनाडु, ब्राह्मण, 52, प्रो-10 जनपथ, बाबरी कांड में पीएम की नाकामी मानने वाले।' इसी तरह मारग्रेट अल्वा के लिए 'कर्नाटक, ईसाई, 53, प्रो-हाइकमांड, राजनीतिक तौर पर कमजोर।' शरद पवार के लिए, 'महाराष्ट्र, मराठा, डाउटफुल, एक प्रभावी नेता' लिखा था।
किताब के मुताबिक, ये पहला मौका नहीं था जब राव ने सोनिया के असर के खिलाफ आईबी का इस्तेमाल किया हो। 7 दिसंबर 1992 को भी राव ने 10 जनपथ की हलचल जानने के लिए एक आईबी अफसर को सोनिया के घर भेजा था। उस दौरान सोनिया के घर हुई बातचीत को आईबी ने कोट किया था। उस अफसर ने लिखा था कि सोनिया से मुलाकात के दौरान अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, अजीत जोगी, सलामतुल्ला और अहमद पटेल ने बाबरी के मुद्दे पर नाराजगी जताई। उनका मानना है कि पीएम हालात को संभाल नहीं पाए।
राव की शिकायत करते थे कई कांग्रेसी नेता
राजीव गांधी की मौत के बाद नरसिम्हा राव ने दो साल तक सरकार चलाई थी, लेकिन 1992 से अर्जुन सिंह ने राव का विरोध शुरू कर दिया। एनडी तिवारी, नटवर सिंह और बाकी कांग्रेस नेता भी सोनिया से राव की शिकायत करते थे। लेकिन कोई सबूत नहीं मिलने के चलते सोनिया ने इसे हल्के में लिया था।
आर्थिक सुधारों पर आईबी ने राव को सौंपी थी रिपोर्ट
नरसिम्हा राव आईबी से उन कांग्रेसी सांसदों के बारे में भी जानना चाहते थे जो उनके आर्थिक सुधारों के विरोधी थे। आईबी ने आर्थिक सुधारों के चार मुद्दों पर एक विस्तृत रिपोर्ट भी राव को दी थी। पहला- व्यापार और कारोबार का उदारीकरण, उद्योगों से नियंत्रण हटाना, दूसरा- मल्टीनैशनल कम्पनियों और विनिवेश को प्रवेश, तीसरा- निजीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र को कम करना, चौथा- खाद्य सब्सिडी में कमी और कृषि नीति। इस सूची में राज्य सभा और लोकसभा के उन कांग्रेसी सांसदों के नाम थे जो इन उपायों को अपनाए जाने के विरोध में थे।