Move to Jagran APP

लालू-मुलायम के बाद बिखरता दिख रहा मुस्लिम राजनीति का कुनबा, बिहार में अलग राह पर चलने के बढ़ रहे आसार

बिहार विधानसभा की कुढ़नी सीट पर पांच दिसंबर को उपचुनाव है। हिना शहाब और असदुद्दीन ओवैसी राजद के मुस्लिम वोट बैंक में दरार डालने की कोशिश में लगे हैं। पिछले महीने विधानसभा की गोपालगंज सीट पर उपचुनाव के दौरान उन्होंने ऐसा कर भी दिखाया।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Tue, 29 Nov 2022 07:56 PM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 07:56 PM (IST)
मुस्लिम राजनीति बिहार में अलग राह पर चलने के बढ़ रहे आसार

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली: बिहार में लालू प्रसाद और उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव को मुस्लिम धारा की राजनीति का स्थापित नेता माना जाता रहा है, परंतु हाल के दिनों में यह धारा अलग राह पकड़ती दिख रही है। इसके दो उदाहरण सामने हैं। राजद के बाहुबली दिवंगत नेता मो. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को राजद की राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिलने से बिहार के मुस्लिम वोटरों में आक्रोश है। इसकी प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी है। इसी तरह यूपी में आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के परिणाम ने इस मिथ को तोड़ा है कि मुस्लिम वोट पर मुलायम परिवार का एकाधिकार है।

loksabha election banner

यह भी पढ़े: विदेशियों ने सालभर में 1.75 लाख करोड़ निकाले, तो म्यूचुअल फंड्स ने 1.93 लाख करोड़ निवेश कर मजबूती दी

मुस्लिम वोटों पर हक जतानों वालों पर खतरा

इसी बीच अगड़े-पिछड़े के मुद्दे पर मुस्लिम राजनीति की मुख्यधारा से पसमांदा मुस्लिमों के छिटक जाने के भी आसार दिखने लगे हैं। दोनों राज्यों में माय (मुस्लिम-यादव) की स्थापित परंपरा अलग रास्ते पर बढ़ती दिख रही है। हैदराबाद की सीमा से निकलकर संपूर्ण तेलंगाना, महाराष्ट्र और बिहार के बाद गुजरात में आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के विस्तार का प्रयास मुस्लिम वोटरों पर अपना हक जताने वाले दलों के लिए बड़े खतरे का संकेत है। परिवर्तन का यह संकेत बिहार और यूपी से कुछ ज्यादा ही आ रहा है। पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की बाहुबली छवि के बावजूद लालू प्रसाद ने उनकी कभी अनदेखी नहीं की। सदैव राजद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण स्थान पर बनाए रखा। शहाबुद्दीन जब सजायाफ्ता हो गए तो उनकी पत्नी हिना शहाब को राष्ट्रीय टीम में जगह दी। भाजपा की प्रचंड प्रतिक्रिया के बाद भी लालू परिवार ने दूरी नहीं बनाई। अब दोनों दूर हो रहे हैं। इसका असर दिखने लगा है।

राजद के मुस्लिम वोट बैंक में दरार डालने की कोशिश

बिहार विधानसभा की कुढ़नी सीट पर पांच दिसंबर को उपचुनाव है। हिना शहाब और असदुद्दीन ओवैसी राजद के मुस्लिम वोट बैंक में दरार डालने की कोशिश में लगे हैं। पिछले महीने विधानसभा की गोपालगंज सीट पर उपचुनाव के दौरान उन्होंने ऐसा कर भी दिखाया। एआईएमआईएम के प्रत्याशी को 12 हजार से ज्यादा वोट आए और राजद की मात्र 17 सौ वोटों से हार हुई। स्पष्ट है, ओवैसी अगर प्रत्याशी नहीं उतारे होते तो राजद की जीत में कोई संदेह नहीं रहता। यूपी में मुलायम सिंह के निधन के बाद उनका वोट बैंक बिखरने लगा है। आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दिनेश यादव निरहुआ से मुलायम परिवार के धर्मेंद्र यादव की हार का कारण मुस्लिम वोटरों का सपा से मोहभंग रहा है। 2014 के संसदीय चुनाव में मोदी लहर के बावजूद यहां से सपा की जीत हुई थी। पांच वर्ष बाद भी अखिलेश यादव ने करीब तीन लाख मतों से जीतकर सिलसिला बरकरार रखा। परंतु पिछले महीने उपचुनाव में यह चमक फीकी पड़ गई।

भाजपा-सपा की लड़ाई में बसपा को फायदा

भाजपा और सपा की आमने-सामने की लड़ाई में भी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रत्याशी ने ढाई लाख से ज्यादा वोट काटकर मुस्लिम वोटों पर मुलायम परिवार के एकाधिकार को खतरे में डाल दिया है। गुजरात में तीन दर्जन सीटों पर गंभीरता से लड़ रहे एआईएमआईएम का दायरा पहले हैदराबाद तक ही सीमित था। पिछले आम चुनाव में उसने पहली बार महाराष्ट्र में दस्तक दी। लोकसभा की एक और विधानसभा की दो सीटें जीतकर इरादे जाहिर कर दिए। फिर बिहार विधानसभा की पांच सीटें जीतकर लालू प्रसाद को भी आगाह किया।

यह भी पढ़े: Fact Check : FIFA World Cup 2022 में अजान की वजह से नहीं रोका गया मैच, वायरल वीडियो चार साल पुराना


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.