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20 सालों से पॉश इलाके में चल रहा था सेक्‍स रैकेट...

मुंबई के पॉश इलाके में पिछले बीस सालों से सेक्‍स रैकेट चल रहा था जहां ऐसी लड़कियां कैद थीं जिन्‍हें झूठे सपने दिखाकर लाया गया था। क्राइम ब्रांच के छापेमारी में खुलकर आयी सच्‍चाई...

By Monika minalEdited By: Published: Thu, 15 Sep 2016 12:01 PM (IST)Updated: Thu, 15 Sep 2016 12:07 PM (IST)

मुंबई। मुंबई स्थित लोखंडवाला के पॉश इलाके में पिछले 20 सालों से चल रहे सेक्स रैकेट का मामला सामने आया है। इस पॉश इलाके में चलाए जा रहे इस रैकेट के बारे में किसी को भनक भी नहीं थी। यहां के कई फ्लैटों में इस काम को अंजाम दिया जाता था। इसका पता तब जाकर लगा है जब 14 साल के बाद एक युवती यहां से भागने में कामयाब हुई।

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भनक नहीं थी किसी को

पिछले 20 सालों से किसी को भी मुंबई के पॉश इलाके लोखंडवाला में चलने वाले शहर के सबसे बड़े सेक्स रैकेट का भनक भी नहीं थी। इस रैकेट में जबरन 500 लड़कियों को धकेला गया। इन सभी लडकियों को अच्छी जिंदगी और बेहतर शिक्षा दिलाने के झूठे वादे के साथ मुंबई लाया गया था। 14 साल इस नर्क में रहने वाली एक लड़की किसी तरह भागने में सफल हुई और तब जाकर पूरा मामला सामने आया।

मात्र दस साल में लाई गई थी

2002 में मात्र दस वर्ष की उम्र में मुंबई लायी गई मासूम अब 24 साल की युवती है। छ: माह पहले वह किसी तरह यहां से भागने में कामयाब हुई थी और अपने घर आगरा गई। शुरुआत में तो उसने अपने परिवार वालों को इस डर से कुछ नहीं बताया कि कहीं वे इसे अपनाने से इंकार न कर दें। लेकिन कुछ माह बाद उनके परिवारों वालों ने सच्चाई जान ली। जानकारी होती ही उन्होंने आगरा पुलिस को सूचित किया जहां से मुंबई पुलिस तक इस रैकेट की बात पहुंची।

अभी एक ही फ्लैट पर छापेमारी

क्राइम ब्रांच को दो दिन पहले इस घटना के बारे में बताया गया और उस युवती के संपर्क में रहने को कहा गया। युवती से जानकारी लेकर बुधवार को छापेमारी की गई। क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने कहा,’युवती के निर्देश पर हमने रैकेट के लिए उपयोग किए जा रहे मकानों में से एक फ्लैट पर छापेमारी की और चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया। ये चारों हैं- जीतेंद्र ठाकुर (37) और विमल ठाकुर, अंजु ठाकुर (43) और पूनम ठाकुर (45)।

कमजोर आर्थिक हालात वाले हैं टार्गेट

आगरा, कोलकाता और दिल्ली समेत पूरे देश के शहरों व गांवों में इस गैंग के एजेंट हैं। ये ऐसे परिवार पर नजर रखते हैं जिनकी माली हालत ठीक नहीं होती है और घर में 10 साल की उम्र की बेटी हो। इसके बाद एनजीओ वर्कर के तौर पर वे वहां जाते हैं और कहते हैं कि वे उनकी बेटी को मुंबई लेकर जाएंगे और बढ़िया शिक्षा और जिंदगी मुहैया कराएंगे। मुंबई आने के बाद इन्हें जबरन घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने को मजबूर किया जाता है। जैसे ही ये बच्ची से किशोर वय में कदम रखती हैं इन्हें वेश्यावृत्ति के गंदे बाजार में उतार दिया जाता है। इन्हें डांस बार में भेजा जाता है और तो और भारत व अन्य देशों में बेचा भी जाता है।

क्राइम ब्रांंच के अनुसार-

क्राइम ब्रांच ने बताया कि छापेमारी के दौरान फ्लैट में 10 महिलाएं भी थीं लेकिन वे डरी सहमी सी थीं और उन्होंने बताया कि वे इसमें शामिल नहीं हैं बल्कि अभियुक्तों की रिश्तेदार हैं।

क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने बताया कि गैंग बड़ा रैकेट चला रहा है। इस रैकेट से छुटकारा पाकर भागी युवती ओशिवारा के फ्लैट में 8-10 अन्य महिलाओं के साथ कैद थी। पुलिस को संदेह था कि वहां ऐसे और भी फ्लैट हैं जिसमें सैंकड़ों लड़कियों को कैद कर रखा गया है। एक अधिकारी ने बताया,’हम शहर के बार व अन्य जगहों पर भी छापेमारी कर रहे हैं।‘

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