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सहकारिता क्षेत्र में सुधार को डेढ़ दर्जन से अधिक उपाय, सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपने जवाब में कहा कि देश के सहकारिता के ढांचे को सशक्त बनाने और उसे देश की आर्थिक व सामाजिक आवश्यकताओं के साथ तालमेल बैठाने के लिए अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया।

By Jagran NewsEdited By: Amit SinghPublished: Tue, 07 Feb 2023 11:28 PM (IST)Updated: Tue, 07 Feb 2023 11:28 PM (IST)
सहकारिता क्षेत्र में सुधार को डेढ़ दर्जन से अधिक उपाय, सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन
सहकारिता क्षेत्र में सुधार को डेढ़ दर्जन से अधिक उपाय

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद से सुधार की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। पैक्स से लेकर अपेक्स यानी निचली इकाई से लेकर शीर्ष संस्था तक को मजबूत बनाने की प्रक्रिया जारी है। नई राष्ट्रीय सहकारी नीति बनाने के लिए सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया गया है। मसौदा लगभग तैयार है। सहकारी संस्थाओं के कामकाज को पारदर्शी बनाने के लिए पूरी प्रणाली का कंप्युटरीकरण आरंभ कर दी गई है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पूछे एक सवाल के जवाब यह जानकारी दी।

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सहकारिता मंत्रालय का अलग से गठन

सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपने जवाब में कहा कि देश के सहकारिता के ढांचे को सशक्त बनाने और उसे देश की आर्थिक व सामाजिक आवश्यकताओं के साथ तालमेल बैठाने के लिए अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन किया गया। इसके लिए तकरीबन डेढ़ दर्जन से अधिक कदम उठाए गए हैं। फिलहाल देश में कुल 63 हजार सक्रिय प्राइमरी एग्रीकल्चरल क्रेडिट सोसाइटी (पैक्स) हैं, जिसके कंप्युटरीकरण के लिए 2516 करोड़ रुपए का बजटीय प्रविधान किया गया है। इन्हें कामन राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर आनबोर्ड किया जा रहा है, जो एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआपी) पर आधारित हैं। इससे दैनिक आधार पर कामकाज को रियल टाइम निगरानी की जा सकेगी।इन निचली इकाई (पैक्स) को स्थानीय स्तर पर ऐसे कार्य सौंपे जा रहे हैं, जिनमें डेयरी, मत्स्य, गोदाम बनाने, खाद्यान्न, फर्टिलाइजर, बीज, रसोईगैस, बैंकिंग मित्र के साथ कामन सेवा केंद्रों के संचालन का दायित्व शामिल है। इससे सहकारी संस्थाओं को जहां वित्तीय लाभ होगा वहीं स्थानीय युवाओं को रोजगार प्राप्त होगा।

संस्थाओं का डाटाबेस लगभग तैयार

सहकारी क्षेत्र की संस्थाओं का डाटाबेस लगभग तैयार हो गया है। मल्टी स्टेट कोआपरेटिव ऐक्ट-2002 को संशोधित करने के लिए संसद में विधेयक पेश किया गया है। इसके पारित होने के बाद सहकारिता क्षेत्र को सशक्त करने, पारदर्शिता के साथ जवाबदेही निर्धारित करने और निर्वाचन प्रक्रिया में सुधार करने में मदद मिलेगी। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की ओर से विभिन्न सेक्टरों में सहकारी समितियों के लिए नई योजनाएं बनाई जा रही है, जिससे स्वयं सहायता समूहों को विशेष लाभ होगा। इसमें डेयरी सहकार, नील सहकार और दीर्घवधि कृषक सहकार की शुरुआत हुई है।

समितियां जेम पोर्टल पर रजिस्टर्ड

सहकारी क्षेत्र की संस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए उसकी समितियों को जेम पोर्टल पर बतौर खरीददार रजिस्टर्ड किया गया है। सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद सहकारी समितियों को कई तरह के कराधान में रियायतें दी गई हैं। समितियों को न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) और आयकर में छूट दी गई है। हाल ही में सरकार ने मल्टी स्टेट कोआपरेटिव समितियों को बीज उत्पादन और जैविक खेती को प्रोत्साहन के साथ कृषि निर्यात को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कंपनियां बनाने का फैसला किया है।

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