पाक की फायरिंग पर बयानबाजी नहीं करते, कार्रवाई करते हैं हम: मोदी
भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव को मुद्दा बना रही पार्टियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करारा जवाब दिया है। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना और मनसे के आरोपों पर मोदी ने गुरुवार को जनता के बीच ही इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी। राकांपा प्रमुख शरद पवार का गढ़ माने जाने वाले महाराष्ट्र के बारामती में एक रैली में उन्होंने कहा, 'जनता मेरी मंशा को जानती है, मुझे कोई जवाब देने की जरूरत नहीं है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव को मुद्दा बना रही पार्टियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करारा जवाब दिया है। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना और मनसे के आरोपों पर मोदी ने गुरुवार को जनता के बीच ही इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ी। राकांपा प्रमुख शरद पवार का गढ़ माने जाने वाले महाराष्ट्र के बारामती में एक रैली में उन्होंने कहा, 'जनता मेरी मंशा को जानती है, मुझे कोई जवाब देने की जरूरत नहीं है। सेना बंदूक के घोड़े पर अंगुली रखकर जवाब दे रही है और आगे भी देती रहेगी।' गृह मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने सीमा पर अमन का वादा तोड़ रहे पाकिस्तानी को दो टूक चेतावनी देते हुए आगाह किया कि उसका दुस्साहस बंद न हुआ तो कीमत महंगी पड़ेगी।
सीमा पर गोलाबारी के सहारे दबाव के सियासी खेल पर तंज करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, उनको भी पता चल गया है कि वक्त बदल चुका है। अब पुरानी आदत काम नहीं आएगी। मोदी ने सीमा पर मुस्तैद भारतीय जवानों को बधाई देते हुए कहा कि जवानों ने हिम्मत और हौसले के साथ अपनी ताकत का परिचय दे दिया है। दरअसल, महाराष्ट्र में अपनी जीत पक्की करने के लिए मोदी की ताबड़तोड़ रैलियों ने दूसरे दलों के नेताओं को परेशान कर रखा है। यही वजह है मनसे-शिवसेना के बाद शरद पवार ने भी यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि सीमा पर तनाव के बीच चुनाव पर ज्यादा ध्यान देकर मोदी राष्ट्रीय हित को नजरअंदाज कर रहे हैं।
कांग्रेस ने भी सुर में सुर मिलाया। पार्टी नेता आनंद शर्मा ने रक्षा मंत्रालय के लिए अलग से मंत्री नियुक्त न करने और सीमा तनाव पर पीएम की चुप्पी जैसे सवाल उठाए। शर्मा ने कहा, 'जब सीमा पर चिंताजनक स्थिति है तो पीएम दिल्ली से गायब रहते हैं। देश के अहम विषय को नजरअंदाज कर वह राज्यों के मुख्यमंत्री का चेहरा बने हुए हैं।'
विपक्ष के इन हमलों से जुड़े पत्रकारों के सवालों पर गृह मंत्री राजनाथ ने कहा, 'हम भारत का सिर नीचा नहीं होने देंगे। भारत क्या जवाब दे रहा है, इसकी खबर आपको पाकिस्तान के अखबारों में अच्छी तरह से मिल जाएगी। बीएसएफ की मुंह तोड़ जवाब देने वाली कार्रवाई से हमारी सरकार पूरी तरह संतुष्ट है। नियंत्रण रेखा की गतिविधियों पर प्रधानमंत्री नजरें बनाए हुए हैं।'
रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने पाकिस्तानी कार्रवाई को हमलावर करार देते हुए कहा, भारत अपनी जमीन की हिफाजत भली-भांति कर सकता है। अगर पाकिस्तान अपने दुस्साहस से बाज नहीं आता तो उसके लिए इसकी कीमत बहुत मंहगी होगी। गोलाबारी को आक्रामक कार्रवाई बताते हुए उन्होंने कहा, यह उकसावे का कदम है। बीते कुछ दिनों में संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं ज्यादातर भारत-पाक के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हुईं जबकि इसको लेकर कोई विवाद नहीं है।
जेटली का कहना था कि भारत कभी आक्रामक नहीं रहा, लेकिन यह उसका दायित्व है कि वह अपनी भूमि और लोगों की हिफाजत करे। इसके लिए सेना और बीएसएफ के पास एक ही विकल्प है कि वे कड़ाई से जवाब दें।
खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार गोलाबारी के ताजा दौर के पीछे पाक की सोची-समझी रणनीति है। इसके जरिये वह कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नए सिरे से उछालना चाहता है। जम्मू-कश्मीर में अगले कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पाकिस्तान की रणनीति सूबे में आतंकवाद और अलगाववाद पर अपनी ढीली पड़ चुकी पकड़ मजबूत करने की है।