Modi In UN: 17 मिनट में पीएम ने उठाए 17 मुद्दे, विशेषज्ञों से जानें उसके पीछे का संदेश
Modi in UN पीएम मोदी ने बिना किसी लिखित भाषण के यूएन में अपने निर्धारित समय के भीतर ही भाषण खत्म कर दिया। उन्होंने इस दौरान लगभग सभी मुद्दों पर बात की जिन पर खूब तालियां बजीं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 74वें सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का बहुप्रतीक्षित भाषण पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री ने महज 17 मिनट के अपने भाषण में 17 मुद्दों पर मजबूती से भारत का पक्ष रखा। उनके भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट संदेश देने का प्रयास किया है कि भारत ने बाकी देशों का बहुत अनुसरण कर लिया, अब बारी है कि दुनिया भारत के नक्शे-कदम पर चले। चाहे मुद्दा आतंकवाद का हो या गरीबी उन्मूलन या विश्व शांति या फिर पर्यावरण संरक्षण। भारत, विकासशील देश होने के बावजूद हर क्षेत्र में ऐसे मानक स्थापित कर रहा है, जो पूरी दुनिया के लिए उदाहरण हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम 7:34 बजे महसाभा में अपना संबोधन शुरू किया और 7:50 बजे उनका भाषण समाप्त हो गया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से पूरी दुनिया को समृद्ध भारतीय परंपरा और भारत के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराया। साथ ही आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दुनिया को आइना भी दिखाने का प्रयास किया। जानें- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएन में किन मुद्दों को उठाया और विशेषज्ञों से जानें क्या है उसका मतलब?
बहुमत के साथ मजबूत सरकार
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के शुरूआत में ही कहा, 'इस वर्ष दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का चुनाव हुआ है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने उनकी सरकार को सबसे बड़ा जनादेश दिया है।' राजनीतिक विश्लेषक केएन जोशी के अनुसार इस लाइन के जरिए प्रधानमंत्री दुनिया को बताना चाहते थे कि भारत में एक मजबूत सरकार है, जिसके आगे कोई राजनीतिक चुनौती नहीं है। इसलिए वह पूरी मजबूती से देश के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर भी फैसले लेते हैं।
विश्व शांति
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, 'इस वर्ष पूरा विश्व महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। सत्य और अहिंसा का उनका संदेश विश्व शांति और विकास के लिए आज भी प्रासंगिक है। हम उस देश के वासी हैं, जिसने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिये हैं। शांति का संदेश दिया है।' विशेषज्ञों के अनुसार प्रधानमंत्री ने इसके जरिए ये संदेश देने का प्रयास किया कि यूएन में आज जिस विश्व शांति की बात हो रही है, वो भारतीय परंपरा और विरासत में है।
स्वच्छता अभियान
प्रधानमंत्री ने कहा, 'जब भारत पांच साल में 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाकर देशवासियों को देता है तो उसके साथ बनी व्यवस्थाएं पूरी दुनिया को एक प्रेरक संदेश देती हैं।' पीएम ने स्वच्छता अभियान की कामयाबी के बहाने दुनिया को ये बताने का प्रयास किया कि भारत बदल रहा है। साथ ही दुनिया के अन्य विकासशील या पिछड़े देश भी भारत से सबक ले सकते हैं।
स्वास्थ्य बीमा योजना
प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम 50 करोड़ लोगों को हर साल पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दे रहे हैं। ये प्रयास पूरी दुनिया को नया मार्ग दिखाती है।' दरअसल पीएम इस योजना का जिक्र कर दुनिया के उन देशों के सामने मिशाल पेश करना चाहते हैं जो स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी पिछड़े हुए हैं। मालूम हो कि स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में भारत ने काफी तरक्की की है। यही वजह है कि तमाम देशों से लोग यहां इलाज कराने आते हैं। मेडिकल टूरिज्म भारत में तेजी से बढ़ रहा है।
वित्तीय समावेश योजना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महासभा में बताया कि भारत ने कैसे दुनिया के सबसे बड़े फाइनेंशियल इंक्लूसन प्रोग्राम (Financial Inclusion Program) यानी वित्तीय समावेश योजना के जरिए ऐसे करोड़ों नागरिकों का जनधन योजना के तहत बैंक खाता खुलवाया, जिन्होंने कभी बैंक का दरवाजा तक नहीं देखा है। इसके पीछे ये संदेश है कि भारत गरीबी उन्मूलन जैसे मुद्दों पर गंभीरता से काम कर रहा है।
डिजिटल आइडेंटिफिकेशन प्रोग्राम
महासभा के मंच से मोदी ने कहा कि भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल आइडेंटिफिकेशन प्रोग्राम मतलब तकनीकी रूप से पहचान का कार्यक्रम चलाया। इसके तहत लोगों की तकनीकी पहचान सुनिश्चित की गई और सब्सिडी में होने वाले भ्रष्टाचार पर लगाम लगा, देश ने 2000 करोड़ डॉलर (1409 अरब रुपये से ज्यादा) की बचत की है। इसके जरिए प्रधानमंत्री ने दो संदेश देने का प्रयास किया, पहला भारत तकनीकी रूप से सक्षम हो चुका है। दूसरा भारत भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने को कटिबद्ध है।
सिंगल यूज प्लास्टिक
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र के लिए आ रहे थे, उन्होंने यूएन की दिवार पर लिखा देखा, 'नो मोर सिंगल यूज प्लास्टिक' (एक बार प्रयोग होने वाली प्लास्टिक का प्रयोग अब और नहीं)। भारत इस दिशा में पहले ही एक बड़ा अभियान शुरू कर चुका है। प्रधानमंत्री मोदी का ये बयान इस बात का संकेत है कि भारत देश की अंदरूनी ही नहीं, बल्कि वैश्विक समस्याओं के प्रति भी चिंतित है। इस दिशा में मजबूत कदम उठाए जा रहे हैं।
जल संरक्षण
पूरी दुनिया के लिए जल संरक्षण आज एक बड़ा मुद्दा है। दुनिया के लगभग देश पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं या तेजी से इस समस्या की तरफ बढ़ रहे हैं। इस समस्या पर फोकस करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'आने वाले पांच वर्षों में हम, जल संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ ही 15 करोड़ घरों को पानी की सप्लाई से जोड़ने वाले हैं।' विदेश मामलों के विशेषज्ञ हर्ष वी पंत के अनुसार चूंकि भारत सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। इसलिए प्राकृतिक संसाधनों की जरूरत भी यहां सबसे ज्यादा है। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा पानी का इस्तेमाल करने वाले देशों में शामिल है। इस लिहाज से भारत ने जल संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
ढांचागत विकास
पीएम मोदी ने बताया कि भारत सरकार सुदूर के ग्रामीण इलाकों में अगले पांच वर्षों में सवा लाख किमी से ज्यादा लंबी सड़कें बनाने जा रही है। दरअसल यूएन के पिछले कुछ सत्रों में ढांचागत विकास पर काफी जोर दिया गया था। 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 'टिकाउ विकास लक्ष्य 2030' की योजना तैयार की थी। इस दौरान यूएन ने कहा था उनका ये लक्ष्य तभी पूरा हो सकता है, जब भारत इसमें अग्रणी भूमिका निभाए। भारत के योगदान के बिना ये लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। उस सत्र में मौजूद तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसी मंच से यूएन को भरोसा दिलाया था कि भारत अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है।
आवास योजना
पूरी दुनिया के लिए बेघर लोग एक बड़ी चुनौती हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया कि वर्ष 2022, जब भारत स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, तब तक हम देश के गरीब तबके के लिए दो करोड़ नए घर बनाने वाले हैं। मतलब भारत बेघर लोगों की समस्याओं का मजबूती से हल निकाल रहा है, जो कि यूएन के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है।
टीबी मुक्त भारत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यूएन ने 2030 तक दुनिया को टीबी रोग से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हमने 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य तय किया है और इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ये भी यूएन के प्रमुख लक्ष्यों में से एक है।
जनकल्याण से जगकल्याण
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'जनभागीदारी से जनकल्याण हमारा उद्देश्य है और ये केवल भारत के लिए ही नहीं जगकल्याण के लिए हो। हमारा प्रयास 130 करोड़ भारतीयों को केंद्र में रखकर हो रहे हैं, लेकिन ये प्रयास सारे विश्व के लिए हर देश के लिए हैं। प्रयास हमारे हैं, लेकिन परिणाम पूरे विश्व के लिए हैं। भारत जिन विषयों को उठा रहा है, उसका आधार वैश्विक चुनौतियां हां।' विदेश मामलों के विशेषज्ञ हर्ष वी पंत के अनुसार दरअसल ये दुनिया के लिए एक संदेश और उदाहरण है कि वह उसे अंदरूनी और वैश्विक समस्याओं से निपटने के लिए भारत के नक्शे कदम पर चलना होगा।
सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास
सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास, ये वो नारा है जो भारतीय राजनीति में काफी प्रचलित है। संयुक्त राष्ट्र के मंच से मोदी ने ये नारा दुनिया के लिए दिया। इसके जरिए उन्होंने ये संदेश देने का प्रयास किया कि चुनौतियां अगर वैश्विक हैं तो उसका समाधान भी मिलकर ही निकालना होगा।
ग्लोबल वार्मिंग
प्रधानमंत्री ने ग्लोबल वार्मिंग के मुद्दे पर कहा कि इस समस्या में भारत का योगदान बहुत कम है, फिर हम इससे निपटने के लिए प्रयास कर रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री इसके जरिए उन विकसित देशों को आइना दिखाना चाहते थे, जिनके यहां प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन बहुत ज्यादा है। ये देश ग्लोबल वार्मिंग पर हल्ला तो बहुत मचाते हैं, लेकिन इसके लिए अपने देश में ठोस कदम उठाने की जगह अन्य देशों से उम्मीद करते हैं।
वैश्विक आतंकवाद
पीएम मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर किसी का नाम लिए बिना पाकिस्तान समेत उन सभी देशों को घेरने का प्रयास किया जो इसमें भी फर्क करते हैं। पीएम मोदी ने कहा, 'हम उस देश के वासी हैं, जिसने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिये हैं। इसलिए हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है और आक्रोश भी। हम मानते हैं कि ये किसी एक देश की नहीं बल्कि परी दुनिया की और मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। आतंक के नाम पर बंटी हुई दुनिया उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है, जिनके आधार पर यूएन का जन्म हुआ है। मानवता के खातिर आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकजुट होना मैं अनिवार्य समझता हूं।
बिखरी दुनिया किसी के हित में नहीं
आज विश्व का स्वरूप बदल रहा है। 21वीं सदी की टेक्नोलॉजी निजी जीवन, अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में और कनेक्टिवी में सामूहिक परिवर्तन ला रही है। इन परिस्थितियों में एक बिखरी हुई दुनिया किसी के हित में नहीं है। न ही हमारे पास अपनी सीमाओं में सिमट जाने का विकल्प है।' दूरदर्शन के साथ बातचीत में विदेश मामलों के जानकार अरुण कुमार सिंह ने कहा कि ये स्पष्ट संकेत है कि आतंकवाद जैसे मुद्दे पर अन्य देशों की बहानेबाजी नहीं चलेगी। उन्होंने ये भी कहा कि आतंकवाद पर मिलकर काम करने की जरूरत है, क्योंकि आतंकी संगठन भी मिलकर काम कर रहे हैं।
तमिल कवि कनियन पुंगुनद्रनार और विवेकानंद
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में तमिल कवि कनियन पुंगुनद्रनार की तीन हजार पहले कही हुई पंक्ति का प्रयोग किया, जिसका मतलब है वसुधैव कुटुम्बकम। इसके अलावा उन्होंने महान आध्यात्मिक गुरू विवेकानंद के शिकागों के प्रसिद्ध भाषण का भी जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने शांति का संदेश दिया था। उन्होंने ये भी कहा कि हमारे संस्कार, हमारी संस्कृति जीव में शिव देखती है। प्रोफेसर हर्ष वी पंत के अनुसार प्रधानमंत्री ने इसके जरिए ये संदेश देने का प्रयास किया है कि यूएन जिन मुद्दों पर अभी चिंता व्यक्त कर रहा है, भारतीय महापुरुषों ने सदियों पहले ही उनका निदान बता दिया था।
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